माखनलाल चतुर्वेदी की जयंती पर सम्मानित किए गए बाबा रामशरण दास त्यागी महाराज।
माखनलाल चतुर्वेदी की जयंती पर सम्मानित किए गए बाबा रामशरण दास त्यागी महाराज।
डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज
प्रतापगढ़, 4 अप्रैल।
इस अवसर पर इंदौर से पधारे संत बाबा रामशरण दास त्यागी जी महाराज को अधिवक्ता शक्तिपीठ के संस्थापक श्री आनंद प्रचंड मिश्र ने माल्यार्पण कर एवं अंगवस्त्रम् पहना कर सम्मानित किया।
हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी जी की जन्मजयंती के अवसर पर उक्त आयोजन अधिवक्ता शक्तिपीठ कार्यालय पर संपन्न हुआ जिसमें एक विचार गोष्ठी का भी आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत माखनलाल चतुर्वेदी जी के चित्र पर माल्यार्पण करके की गई।
इस अवसर पर मध्य प्रदेश के इंदौर से पधारे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बाबा रामशरण दास त्यागी जी महाराज ने कहा कि ये बड़ा गौरव का विषय है कि आज भारत के मध्यप्रदेश की धरा पर जन्म लेने वाले देश के महान साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी जी की जन्मजयंती के अवसर यह कार्यक्रम हो रहा है।
उन्होंने कहा कि धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज की जन्मस्थली प्रतापगढ़ के अधिवक्ता शक्तिपीठ पर सम्मान होना मेरे लिए गर्व की बात है।
उन्होंने अधिवक्ता शक्तिपीठ के संस्थापक आनंद प्रचंड मिश्र जी को विचारगोष्ठी आयोजित करने हेतु ढेरों शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद प्रदान किया।
उपस्थित लोगों ने इस अवसर पर साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी जी के जीवन वृत्त एवं हिंदी साहित्य के प्रति उनके योगदान को याद करते हुए उनको नमन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए अधिवक्ता शक्तिपीठ के संस्थापक आनंद प्रचंड मिश्र ने कहा कि ये बहुत पुनीत दिवस है और आज हिंदी भाषा के प्रख्यात साहित्यकार माखनलाल चतुर्वेदी जी की जन्मजयंती है।
उन्होंने कहा कि माखन लाल चतुर्वेदी की ये पंक्तियां अविस्मरणीय हैं- "मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ पर तुम देना फेंक। मातृ-भूमि पर शीश चढाने, जिस पथ जावें वीर अनेक"।
माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित ये वो पंक्तियां हैं जिन्हें 18 फरवरी 1922 को लिखा गया था अर्थात् लगभग आठ दशक पहले।
श्री प्रचंड ने आगे कहा कि उस समय देश में चारों ओर आजादी का नारा गूंज रहा था। इसी संघर्ष के दौरान कई बारे ऐसे क्षण भी आएं जब माखनलाल चतुर्वेदी जी को जेल जाना पड़ा। आज हम भारत माता के इन्हीं सपूत की जयंती मना रहे हैं।
'जांबाज हिन्दुस्तानी सेवा समिति' के अध्यक्ष आलोक आजाद ने कहा राष्ट्र और हिंदी साहित्य के प्रति माखनलाल चतुर्वेदी जी के योगदान को भुलाया नही जा सकता।
श्री आजाद ने बताया कि देश की आजादी के पश्चात श्री चतुर्वेदी जी को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया था।
उक्त सूचना मिलने के उपरांत इन्होंने कहा कि "शिक्षक और साहित्यकार बनने के बाद मुख्यमंत्री बना तो मेरी पदावनति होगी।"
यह कहकर मुख्यमंत्री के पद को भी इस महान देशभक्त श्री ने ठुकरा दिया, ऐसे महामना को हम सब कोटि कोटि नमन करते हैं और उनके जीवन वृत्त से हम सबको प्रेरणा लेनी चाहिए।
गोष्ठी का संचालन समिति के उपाध्यक्ष आलोक तिवारी ने किया।
इस अवसर पर उपस्थित अधिवक्ता श्री एमके सिंह ने श्री माखनलाल चतुर्वेदी जी के जीवन वृत्त एवं उनकी रचनाओं पर प्रकाश डाला।
अन्य वक्ताओं में पंकज शुक्ला, रामभवन सिंह, वीरेंद्र उपाध्याय, धर्मेंद्र गिरी आदि लोग उपस्थित रहे।