शक्ति नगर, पूरे ईश्वर नाथ में बह रही कथा सरिता मे गोता लगा रहे श्रद्धालु।

कथा व्यास आचार्य धर्मानंद जी महाराज ने कहा कि व्यक्ति अपने जीवन में जिस प्रकार के कर्म करता है उसी के अनुरूप उसे मृत्यु मिलती है।
 
ग्लोबल भारत न्यूज

शक्ति नगर, पूरे ईश्वर नाथ में बह रही कथा सरिता मे गोता लगा रहे श्रद्धालु।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज

प्रतापगढ़, 28 अप्रैल।

कथा व्यास आचार्य धर्मानंद जी महाराज ने कहा कि व्यक्ति अपने जीवन में जिस प्रकार के कर्म करता है उसी के अनुरूप उसे मृत्यु मिलती है।

शक्ति नगर पूरे ईश्वर नाथ में चल रही श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास आचार्य धर्मानंद जी महाराज ने कल की कथा के क्रम को आगे बढ़ाते हुए ध्रुव चरित्र का व्याख्यान करते हुए  कहा कि उत्तानपाद के वंश में ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। 

परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। 

कथा व्यास आचार्य धर्मानंद जी महाराज ने कहा कि व्यक्ति अपने जीवन में जिस प्रकार के कर्म करता है उसी के अनुरूप उसे मृत्यु मिलती है। भगवदभक्त ध्रुव के सत्कर्मों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि ध्रुव की साधना,उनके सत्कर्म तथा ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा के परिणाम स्वरूप ही उन्हें वैकुंठ लोक प्राप्त हुआ। 

कथा के दौरान महराज ने बताया कि संसार में जब-जब पाप बढ़ता है, भगवान धरती पर किसी न किसी रूप में अवतरित होते हैं। 

उन्होंने कहा कि कलयुग में भी मनुष्य सतयुग में भगवान कृष्ण के सिखाए मार्ग का अनुसरण करे तो मनुष्य का जीवन सफल हो सकता है। 

कथा के दौरान उन्होंने बताया कि पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है।  

भागवत कथा के आज तीसरे दिन ध्रुव चरित अजमिल एवं प्रहलाद चरित्र के विस्तार पूर्वक वर्णन के साथ संगीतमय प्रवचन दिए कथा के साथ साथ भजन संगीत भी प्रस्तुत किए गए। साथ ही प्रतिदिन श्री भागवत महापुराण की आरती के बाद भजन कीर्तन आयोजन भी परिजनों व स्थानीय लोगों के द्वारा किया जा रहा है।

आज की कथा में मुख्य यजमान श्रीमती लीलावती एवं श्री रामचन्द्र उपाध्याय के साथ ही सुनील, सुशील, कुलदीप, आशुतोष, अभिषेक, अतुल, अनुपम, संकटमोचन, शिवम, सुंदरम, सत्यम, कुंजूलाल, राजस, तेजस, डॉ सिमरन उपाध्याय व राजेश्वर प्रीतम उपस्थित रहे।