धर्माचार्य ओमप्रकाश अनिरुद्ध रामानुज दास ने विवाह की पचासवीं वर्षगांठ पर 'विष्णु महायज्ञ' का आयोजन किया।

इस त्रिदिवसीय श्री विष्णु महायज्ञ का आयोजन पाण्डेय जी के गुरु परमपूज्य श्री श्री 1008 स्वामी श्री इंदिरा रमणाचार्य पीठाधीश्वर श्री जीयर स्वामी मठ की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। 
 
ग्लोबल भारत न्यूज

धर्माचार्य ओमप्रकाश अनिरुद्ध रामानुज दास ने विवाह की पचासवीं वर्षगांठ पर 'विष्णु महायज्ञ' का आयोजन किया।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

प्रतापगढ़, 12 जुलाई।

इस त्रिदिवसीय श्री विष्णु महायज्ञ का आयोजन पाण्डेय जी के गुरु परमपूज्य श्री श्री 1008 स्वामी श्री इंदिरा रमणाचार्य पीठाधीश्वर श्री जीयर स्वामी मठ की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।

इस अवसर पर पूर्व सांसद राजकुमारी रत्ना सिंह, राज्य मंत्री दयाशंकर शुक्ला 'दयालु', राजेंद्र मौर्य विधायक, शिव प्रकाश मिश्र सेनानी भाजपा नेता, सिंधुजा मिश्रा सेनानी पूर्व अध्यक्ष कोऑपरेटिव बैंक, नगर पालिका अध्यक्ष हरिप्रताप सिंह आदि उपस्थित रहे।

इसमें देश के कोने-कोने से श्री संप्रदाय रामानंदाचार्य संप्रदाय निंबार्काचार्य संप्रदाय शैव संप्रदाय के जगदगुरु एवं संत मठों के पीठाधीश्वर तथा कथा व्यास उपस्थित हुए।

यज्ञाचार्य के रूप में राष्ट्रपति सम्मान से विभूषित डॉ राम नारायण शास्त्री संपादक रामानुज पंचांगम भोपाल ने धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास एवं नारायणी रामानुज दासी को संकल्प कराते हुए जनकल्याणार्थ भगवान श्रीमन्नारायण से प्रार्थना किया।

यज्ञ वेदी का विधिवत पूजन करने एवं अग्नि स्थापन के पश्चात श्री विष्णु सहस्त्रनाम कथा भगवान श्रीमन्नारायण के मूल मंत्रों से यज्ञ की आहुति दी गई जिसमें भारी संख्या में लोग उपस्थित होकर अपनी सहभागिता किया।

विश्वम प्रकाश पांडे और इं पूजा पांडे द्वारा आयोजित इस श्री विष्णु महायज्ञ में पूरे भारत के अनेक संत महात्माओं ने पधार कर भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए अपने विचारों को रखा।

संतो ने कहा कि रामायण श्री रामचरितमानस और श्रीमद्भागवत इत्यादि अनेक पुराणों की कथा तो होती हैं, लेकिन पांडे जी द्वारा आयोजित श्री विष्णु महायज्ञ में पाणिग्रहण संस्कार पर 50 वर्ष पूर्ण होने पर यह संदेश देने का प्रयास किया गया है कि हमें अपनी भारतीय संस्कृति को त्यागकर पश्चिमी सभ्यता की ओर भागने की जरूरत नहीं है।

धर्माचार्य ओमप्रकाश अनिरुद्ध रामानुज दास ने कहा कि हमारे घर में माताएं बहने दीपक बुझाती थी तो कभी मुंह से फूंक करके नहीं बल्कि आंचल से बुझाया करती थी। आज हम अपने बच्चों के जन्मदिन पर मोमबत्ती जलाते हैं और केक काटते हैं और बच्चों से कहते हैं कि फूंक मारकर मोमबत्ती को बुझा दो हम स्वयं उस बच्चे के जीवन की ज्योति को बुझाने के लिए कहते हैं। हमारी संस्कृति और संस्कार यह कभी नहीं था और ना आगे रहना चाहिए।

उन्होंने कहा कि अनेक ऐसे बड़े बड़े लोग हैं जो शादी की सालगिरह बड़े-बड़े होटलों में जाकर मनाते हैं और शराब पीकर नृत्य करते हैं उनको उठाकर कोई दूसरा लेकर उनके घरों में आता है।

उपस्थित संत महात्माओं ने कहा कि हमें अपनी संस्कृति एवं संस्कार को बचाने के लिए हमको चाहिए कि ऐसे दिनों पर हम मंदिर में जाएं गरीबों को भोजन कराएं सत्यनारायण कथा श्रवण करें हनुमान चालीसा का पाठ करें सुंदरकांड का पाठ करें। गाय को चारा खिलाएं दान करें। ऐसा करने से लव जिहाद एवं अपराध की घटनाएं कम होगी।

इस अवसर पर परम धर्माधीश जगतदगुरु शंकराचार्य ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती श्री 1008 एवं द्वारका पीठ की ओर से पूज्य शंकराचार्य जी द्वारा शुभकामना संदेश को आपके प्रतिनिधि डॉक्टर शैलेंद्र सिंह योगी ने पढ़कर सुनाया।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से स्वामी योगेश्वराचार्य इंद्रप्रस्थ स्वामी करपात्री जी महाराज त्रिदंडी, स्वामी राम पुकार गया, स्वामी राम प्रपन्नाचार्य मुमुक्षु भवन अयोध्या, स्वामी रवीशवराचार्य कौशल धाम छत्तीसगढ़ स्वामी अवधेश प्रपन्नाचार्य शांति धाम दिल्ली स्वामी रामानंदाचार्य मधुर जी महराज जगद्गुरुगण, महामंडलेश्वर जूना अखाड़ा श्री श्री 1008 प्रदीप गिरी जी महाराज स्वामी सारंगधराचार्य स्वामी गोपाल शरण देवाचार्य आदि मौजूद रहे।

इनके अतिरिक्त डॉ आर के मिश्रा, श्रीमती प्रेमलता सिंह पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष, पंडित आलोक ऋषि वंश आचार्य प्रभाकर जी महाराज संजीव कृष्ण शास्त्री वृंदावन हृदयेश शास्त्री, संजय शरण शांडिल्य, राजगुरु राजेश पति त्रिपाठी, युगल किशोरी जी भोपाल, रवि मिश्रा बिलौरा रामायणी, बलदाऊ भैय्या, अनुपम शुक्ला आदि भी उपस्थित रहे। संतों का स्वागत डॉ अवंतिका पांडे ने किया।