बस एक मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए वर्षें से जूझ रहा परिवार,आदेश के बाद पंचायत सेक्रेटरी से मिलने गया तो हुई पिटाई पुलिस नहीं दर्ज कर मुकदमा

मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए कुंडा इलाके के दिव्यांग को एक तरफ भाई के मौत का गम तो दूसरी तरफ दो वर्ष से अधिकारियों के चौखट का चक्कर लगाने के साथ जलालत भी झेलनी पड़ रहा है
 
GLobal Bharat news

प्रतापगढ़। कुन्डा इलाके मे एक मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए वर्षें से जूझ रहा परिवार,आदेश के बाद पंचायत सेक्रेटरी से मिलने गया तो हुई पिटाई पुलिस नहीं दर्ज कर  मुकदमा । मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए परिवार को दो वर्ष से चक्कर लगाना पड़ा। इसके लिए युवक को जलालत तो झेलनी ही पड़ रही है। सरकारी आदेश होने पर जब वह प्रमाणपत्र के लिए ग्राम पंचायत अधिकारी के पास पहुंचा तो उसकी पिटाई कर दी गई। चोट आने के बाद भी कुंडा पुलिस उसका मुकदमा नहीं लिख रही है। उधर उसके प्रमाणपत्र मिलने की बात एक बार फिर से खटाई में पड़ती नजर आ रही है।  कुंडा के बिहार गोगौरी निवासी सुनील सरोज अपने नाना नत्थू सरोज की गद्दी हथिगवां मिश्रदयालपुर गया है। 

२०२० में उसके नाना की मृत्यु हो गई थी। उसकी मां कंचन ने मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया लेकिन उसे ग्राम पंचायत अधिकारी दीपक कुमार ने मृत्यु प्रमाणपत्र बनाकर नहीं दिया। २०२२ में उसके भाई दूधनाथ की मौत हो गई। उसने इसके लिए भी आवेदन किया लेकिन उसकी सुनी ही नहीं गई। 

इस पर उसने आईजीआरएस पर शिकायत की। शिकायत के बाद आईजीआरएस पर २ अगस्त को  २०२३ को रिपोर्ट लग गई कि उसे मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया है। मजे की बात यह है कि इसमें बाकायदा एडीओ पंचाचत की जांच का हवाला भी दिया गया है। उसने फिर से आईजीआरएस किया तो अधिकारियों ने रिपोर्ट लगाई कि उसके द्वारा इससे सबंधित कागजात नहीं उपलब्ध कराया जा रहा है। 

इस तरह की समस्या से घिरे सुनील ने इसको लेकर एक वाद एसडीएम कोर्ट में दायर किया। एसडीएम कोर्ट ने पूरा मामला सुनने के बाद एक सप्ताह के भीतर मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने का आदेश दिया। इसके बाद भी ग्राम पंचायत अधिकारी दीपक कुमाार ने उसका प्रमाणपत्र जारी नहीं किया किया और उससे एक हफ्ते का समय मांगा। एक हफ्ते बाद पांच जनवरी को वह उनके कार्यालय पर गया तो उससे पैसे की डिमांड की गई। उसने पैसा देने पर बहस की तो उसके साथ मारपीट की गई। इस पर उसने कुंडा कोतवाली में पुलिस को उसने तहरीर दी। बावजूद इसके पुलिस ने उसे घुमा दिया। न तो उसे मेडिकल के लिए भेजा और न ही उसका मुकदमा दर्ज कर रही है। अब हालत यह हो गई कि पुराना काम तो उसका हुआ ही नहीं नया मामला सामने होने के बाद भी घटना को पचाने का प्रयास किया जा रहा है।