भागवत दत्त महाविद्यालय में महामण्डलेश्वर ने कर्म तथा भक्ति व ज्ञान को बताया गीता का सार।

लालगंज अझारा स्थित भागवत दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रांगण में गुरूवार को श्रीमद्भगवद् गीता पर एक दिवसीय सत्संग में श्रद्धालुओं ने ज्ञान गंगा में गोते लगाए।
 
ग्लोबल भारत न्यूज

भागवत दत्त महाविद्यालय में महामण्डलेश्वर ने कर्म तथा भक्ति व ज्ञान को बताया गीता का सार।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज

प्रतापगढ़, 18 जनवरी।

लालगंज अझारा स्थित भागवत दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रांगण में गुरूवार को श्रीमद्भगवद् गीता पर एक दिवसीय सत्संग में श्रद्धालुओं ने ज्ञान गंगा में गोते लगाए। 

गीता के मानव जीवन में महत्व विषय पर अपने उदबोधन में अनंतश्री विभूषित महामण्डलेश्वर स्वामी अभयानंद सरस्वती जी महराज ने कहा कि गीता ज्ञान की गंगा में ध्यान लगाने वाले मनुष्य की परमात्मा रक्षा करता है। 

महामण्डलेश्वर ने कहा कि गीता का ज्ञान हमें अपने कर्म के प्रति निरंतर प्रयत्नशील बनाए रखने की मूल प्रेरणा प्रदान किया करता है। उन्होने कहा कि भक्ति तथा ज्ञान व कर्म का सुपथ ही गीता का मूल संदेश है। 

महामण्डलेश्वर ने श्रद्धालुओं को बताया कि जीवन में प्रतिकूल परिस्थितियों से पार लगाना भी परमपिता परमेश्वर की ही शक्ति हुआ करती है। 

अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष स्वामी अभयानंद सरस्वती जी महराज ने कहा कि भगवत प्राप्ति का पवित्र लक्ष्य निर्धारित करने वाला जीवन ही परमात्मा की कृपा से सदैव फलीभूत हुआ करता है। 

उन्होने कहा कि धर्म का पालन ही जीवन की सर्वश्रेष्ठता है। स्वामी अभयानंद सरस्वती जी ने कहा कि भगवतगीता का नीति शास्त्र ही जीवन की सुंदरता तथा सुख की अनुभूति कराता है। 

उन्होनें गीता जी के तीनों अध्यायों से जुड़े उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि भक्ति साधना का आधार परमात्मा की प्राप्ति में मन की निर्मलता और उसे प्राप्त करने के लिए निश्चयता हुआ करती है। 

उन्होने भारतीय संस्कृति को जागृत बनाए रखने को ही भारत का मूल धर्म कहा। महामण्डलेश्वर ने अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा उत्सव को अद्ववत बताते हुए कहा कि भगवान के घर के निर्माण अथवा प्रतिष्ठा को लेकर किसी भी प्रकार का प्रश्न उठाना हिन्दू संस्कृति पर कुठाराघात का प्रयास मात्र है। 

उन्होने कहा कि भगवान के वास्तविक स्वरूप के ज्ञान के लिए मनुष्य को गीता ज्ञान से अपने को शुद्ध मन से आत्मार्पित करना चाहिए। उन्होने जीवन की साधना में अनुशासन तथा चरित्र को सबसे महत्वपूर्ण सौन्दर्य भी निरूपित किया। 

इसके पूर्व स्वामी अनंत आनन्द सरस्वती जी महराज ने धर्म में मानव मूल्यों के सिद्धांतों की भी सारगर्भित मीमांशा प्रस्तुत की। 

प्रारम्भ में सेवानिवृत्त आईएएस अरविन्द नारायण मिश्र तथा राकेश ओझा एवं हाईकोर्ट अवध बार एसोशिएसन के महासचिव पं. रामसेवक त्रिपाठी ने वैदिक मंत्रोच्चारण के मध्य दीप प्रज्ज्वलन किया। 

महामण्डलेश्वर स्वामी अभयानंद सरस्वती जी ने भगवान द्वारिकाधीश के चित्र पर पुष्पवर्षा कर सत्संग का शंखनाद किया। 

एक दिवसीय सत्संग में सीमा द्वारा विषय से सन्दर्भित महामण्डलेश्वर के आराधना की रूपरेखा प्रस्तुत की। छात्रा ईला शुक्ला ने संस्कृत विधा में महामण्डलेश्वर का मेधा समूह की ओर से स्वस्ति वाचन किया। 

पूर्व गृह सचिव एवं कार्यक्रम के संयोजक रमेशचंद्र मिश्र ने महामण्डलेश्वर का श्रद्धालुओं की ओर से श्रीअभिषेक किया। 

सह संयोजक एवं समाजसेवी प्रकाशचंद्र मिश्र ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन आचार्य विपिन जी ने किया। 

आयोजन समिति की ओर से पं. चंद्रभाल मिश्र, रीमा मिश्रा तथा गौरव मिश्र ने आध्यात्मिक एवं सामाजिक क्षेत्र में योगदान देने वाले विशिष्टजनों को अंगवस्त्रम तथा धार्मिक पुस्तक प्रदान कर सम्मानित किया। 

आभार प्रदर्शन पं. नागेशदत्त पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य एसएन त्रिपाठी ने किया। संस्थान की ओर से सुनीता मिश्रा ने श्रद्धालुओं को महाप्रसाद वितरित किया। 

सत्संग आयोजन में श्रद्धालुओं की उत्साहजनक भागीदारी भी दिखी। 

सत्संग में उप जिलाधिकारी लालधर सिंह यादव, ब्लाक प्रमुख अमित सिंह पंकज, मानसमर्मज्ञ पं. रामफेर पाण्डेय, डॉ. शिवमूर्ति शास्त्री, डॉ. ज्ञानेन्द्रनाथ त्रिपाठी, पं. विश्राम मिश्र, विशालमूर्ति मिश्र, डॉ. शक्तिधरनाथ पाण्डेय, प्रधानाचार्य सुनील शुक्ल, समाजसेविका सरला त्रिपाठी, केडी मिश्र, अनिल त्रिपाठी महेश, ज्ञानप्रकाश शुक्ल, विकास मिश्र, राकेश तिवारी गुडडू, मनोज ओझा, भगवताचार्य विनय शुक्ल, समाजसेवी प्रशांत शुक्ला, वज्रघोष ओझा आदि रहे। 

इसके पूर्व महामण्डलेश्वर अभयानंद सरस्वती जी महराज बाबा घुइसरनाथ धाम पहुंचकर देवाधिदेव महादेव का दर्शन पूजन किया।