मेरठ एसटीएफ की टीम ने फर्जी कर्नल को दबोचा,खुले कई राज। जानिए ये फर्जी कर्नल कैसे युवाओं को बनाता था अपना शिकार

कर्नल डीएस चौहान की फ़र्ज़ी नेम प्लेट लगाकर अब तक युवाओ से सत्यपाल यादव ने किया है करोंडो की ठगी
 
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मेरठ।  युवाओं की सेना में भर्ती कराने के नाम पर ठगने वाले फर्जी कर्नल को यूपी एसटीएफ की मेरठ फील्ड यूनिट ने मिलिट्री इंटेलीजेंस के इनपुट पर गिरफ्तार कर लिया। आरोपी सत्यपाल सिंह यादव सेना में चालक पद से रिटायर्ड बताया जा रहा है। वह कर्नल डीएस चौहान के नाम की नेम प्लेट लगाकर नौजवानो  को अपने जाल में फंसाकर उनसे मोटी रकम ऐंठता था।

एसटीएफ ने आरोपी के पास से 05 युवाओं का ज्वाइनिंग लेटर,05 स्टांप, 01 प्रिंटर, 01 कर्नल की वर्दी और एक फर्जी पहचान पत्र बरामद किया है। फ़र्ज़ी कर्नल देश के कई राज्यों के युवाओं से करोड़ों रुपये की अब तक ठगी कर चुका है। आरोपी के खिलाफ गंगानगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।

एसपी एसटीएफ  बृजेश सिंह ने जानकारी देते हुए बताया  कि गंगानगर के कसेरूबक्सर का रहने वाला सत्यपाल सिंह यादव पुत्र करण सिंह सेना में चालक पद से सेवानिवृत्त हुआ था। वह पुणे में तैनात कर्नल डीएस चौहान की गाड़ी चलाता था। रिटायर होने के बाद सत्यपाल सिंह ने कर्नल डीएस चौहान के नाम की प्लेट बनवाई। कर्नल की वर्दी पहनकर एक फर्जी फोटो आईडी भी तैयार कर ली।

इसके बाद उसने सेना में भर्ती होने के इच्छुक युवाओं का ठगना शुरू कर दिया। खुद का नाम कर्नल डीएस चौहान बताकर अपनी पोस्टिंग पुणे में बताता था। इतना ही नहीं आरोपी ने बहुत से युवाओं से मोटी रकम लेकर उनको फर्जी नियुक्ति पत्र भी दे दिए। पिछले सात साल में उसने बहुत से युवाओं से ठगी करके करोड़ों रुपये की रकम हड़प कर ली। कई जगहों से मिल रही शिकायत पर एसटीएफ और मिलिट्री इंटेलीजेंस सत्यपाल सिंह के पीछे लगी थी।

सोमवार को साक्ष्य मिलने के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। सत्यपाल सिंह के घर में कई गई छापेमारी के दौरान कई बैंकों की चेकबुक मिली हैं। कर्नल डीएस चौहान नाम का फर्जी परिचय पत्र भी बरामद हुआ है। आरोपी से पुलिस पूछताछ कर रही है।

आरोपी ने बताया कि इन वर्षों में उसने यूपी, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों के सैकड़ों युवाओं के साथ ठगी की है। पुलिस की पूछताछ में पता चला कि सत्यपाल का बेटा रजत उर्फ देवेंद्र अपने लैपटॉप पर टाइप करके फर्जी ज्वानिंग लेटर का प्रिंट निकालता था, फिर उन लेटर को लेटर विभिन्न जगहों से स्पीड पोस्ट करता था।