मई दिवस के अवसर पर प्रतापगढ़ के पंचमुखी मंदिर परिसर में मई दिवस त्यौहार समारोह पूर्वक मनाया गया।

कार्यक्रम का संयोजन ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस एटक के प्रांतीय मंत्री हेमंत नंदन ओझा ने किया और अध्यक्षता ग्रामीण बैंक कर्मियों के नेता एवं जिला ट्रेड यूनियन काउंसिल के संरक्षक बीपी त्रिपाठी ने किया।  
 
ग्लोबल भारत न्यूज

मई दिवस के अवसर पर प्रतापगढ़ के पंचमुखी मंदिर परिसर में मई दिवस त्यौहार समारोह पूर्वक मनाया गया।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज

प्रतापगढ़, 1 मई (मजदूर दिवस)

कार्यक्रम का संयोजन ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस एटक के प्रांतीय मंत्री हेमंत नंदन ओझा ने किया और अध्यक्षता ग्रामीण बैंक कर्मियों के नेता एवं जिला ट्रेड यूनियन काउंसिल के संरक्षक बीपी त्रिपाठी ने किया।  

कार्यक्रम के आरंभ में सुरेश शर्मा ने सुनाया - "बीतेंगे कभी तो दिन आखिर यह भूख और बेकारी के, टूटेंगे कभी तो बुत आखिर दौलत की इजारेदारी के, जब एक अनोखी दुनिया की बुनियाद उठाई जाएगी, वो सुबह कभी तो आएगी"।

कार्यक्रम में उद्घाटन भाषण मजदूर नेता रामसूरत ने किया। मई दिवस समारोह को प्रमुख रूप से बैंक कर्मियों के नेता एवं जिला ट्रेड यूनियन काउंसिल के महामंत्री एन पी मिश्रा, सी पी आई के जिला मंत्री रामबरन सिंह, राजमणि पांडे,लाल झंडा जल निगम मजदूर यूनियन के मंत्री अजय श्रीवास्तव, उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण श्रमिक यूनियन के जिला अध्यक्ष आर डी यादव, मंत्री राघवेंद्र कुमार मिश्रा, पल्लेदार मजदूर यूनियन के मंत्री महेश सरोज, बिजली कर्मचारी संघ लालगंज डिवीजन के अध्यक्ष कमलेश चंद तिवारी रानीगंज डिवीजन के अध्यक्ष विजय सिंह मंत्री संतोष सिंह, महाबली मौर्य आदि ने संबोधित किया। 

इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि 1 में सन 1986 को शिकागो शहर में 8 घंटे के काम के अधिकार को लेकर हुए संघर्ष के आरंभ में अनेक श्रमिकों को अपनी शहादत देनी पड़ी थी। बाद में 8 घंटे श्रमिकों के काम का अधिकार हो गया। 

भारत में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस एटक की स्थापना 1920 में हुई इसके उपरांत देश में तमाम श्रम कानून का निर्माण हुआ जिसमें प्रमुख रूप से ट्रेड यूनियन एक्ट , कर्मचारी प्रतिकार अधिनियम , वेतन समुदाय अधिनियम आज विभिन्न कानून बने। 

वक्ताओं ने इस बात पर अत्यंत ही खेद व्यक्त किया की वर्तमान केंद्र सरकार ने सभी श्रम कानून को समाप्त कर उनके स्थान पर श्रम संहिता का निर्माण किया है। जिसमें श्रमिकों की अधिकार की व उनके सुरक्षा की संपूर्ण संरक्षा संभव नहीं है। वक्ताओं ने आउटसोर्सिंग एवं ठेका प्रथा के संबंध में चर्चा करते हुए कहा कि 12 मासी कामों में आउटसोर्सिंग एवं ठेकेदारी प्रथा को पूर्ण रूप से समाप्त किया जाना चाहिए। संविदा श्रमिकों और आउटसोर्स कर्मियों को नियमित कर्मचारियों के बराबर ही वेतन दिया जाना चाहिए। 

इस अवसर पर श्रमिक नेताओं ने श्रमिक चेतना को व्यापक स्वरूप प्रदान करने और श्रमिक अधिकारों को राजनीतिक संरक्षण देने वाले राजनीतिक शक्तियों को ही ताकतवर बनाने का संकल्प लिया गया। 

श्रमिकों और श्रमिक नेताओं ने इस अवसर पर 1 में सन 1986 से लेकर अब तक श्रमिक आंदोलन में शहीद हुए श्रमिकों और श्रमिक नेताओं और अपना जीवन श्रमिक हितों की रक्षा के लिए न्योछावर करने वाले अनेक नेताओं को याद करते हुए उनके प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त किया। 

इस अवसर पर प्रमुख रूप से मोतीलाल वर्मा कमलेश सरोज अर्जुन सिंह अमरनाथ सरोज जितेंद्र कुमार बेचन अली सीताराम देवता दिन लालचंद राम प्रकाश तिवारी राजेश कुमार तिवारी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।