'विश्व श्रमिक दिवस' के अवसर पर प्रतापगढ़ में भी कार्यक्रम का आयोजन।

अमेरिका के शिकागो में 1 मई 1886 को काम के लिए 8 घंटे से अधिक न रखे जाने को लेकर हुई हड़ताल में शहीद श्रमिकों की याद में 1 मई को 'विश्व श्रमिक दिवस' मनाया जाता है।
 
ग्लोबल भारत न्यूज

'विश्व श्रमिक दिवस' के अवसर पर प्रतापगढ़ में भी कार्यक्रम का आयोजन।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

प्रतापगढ़, 1 मई, विश्व श्रमिक दिवस।

अमेरिका के शिकागो में 1 मई 1886 को काम के लिए 8 घंटे से अधिक न रखे जाने को लेकर हुई हड़ताल में शहीद श्रमिकों की याद में 1 मई को 'विश्व श्रमिक दिवस' मनाया जाता है।

इस अवसर पर जनपद प्रतापगढ़ मुख्यालय पर 'जिला ट्रेड यूनियन काउंसिल' के तत्वावधान में बलीपुर में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता खेत मजदूरों के नेता विनोद 'सुमन' ने किया। 

इस अवसर पर ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस एटक के राज्य सचिव एवं उत्तर प्रदेश के विभिन्न मजदूर संगठनों के पदाधिकारी हेमंत नंदन ओझा ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि जब तक श्रमिकों का शोषण जारी रहेगा तब तक उसके विरुद्ध लाजमी तौर पर संघर्ष भी जारी रहेगा।  

भारत में संगठित आंदोलन की शुरुआत सन 1920 में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना के साथ हुई थी, जिसके अध्यक्ष स्वाधीनता सेनानी लाला लाजपत राय हुए। 

15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने से पहले लगभग सभी प्रमुख श्रम कानून अस्तित्व में आ चुके थे और इन श्रम  कानूनों के चलते देश के श्रमिकों को अपने संघर्षों में काफी फायदा मिला और संघर्षों और कानून के चलते श्रमिकों के जीवन में कुछ बदलाव भी आए। 

लेकिन असंगठित क्षेत्र में श्रम कानूनों के प्रभावी नहीं होने के चलते असंगठित क्षेत्र के करोड़ों श्रमिक इसका लाभ नहीं ले सके। इसके लिए जरूरी था कि श्रम कानूनों को और शक्ति के साथ लागू किया जाए और प्रभावी बनाया जाए। किंतु दुर्भाग्य है कि वर्तमान केंद्रीय सरकार ने सभी श्रम कानूनों को देश की लोकसभा और राज्यसभा में अपनी बहुमत की सरकार के बल पर खत्म कर दिया है। यद्यपि अभी कुछ पुराने कानून प्रभावी हैं और नए श्रमिक कोड लागू नहीं हुए। जिस दिन यह लागू हो जाएंगे श्रमिकों को मिलने वाले अधिकार भी समाप्त हो जाएंगे। 

उन्होंने कहा कि आउटसोर्सिंग और ठेकेदारी प्रथा ने श्रमिक ही नहीं  युवाओं पर भारी कुठाराघात किया है और ठेकेदारी प्रथा को पूरी तरह समाप्त होना चाहिए। देश के सभी सार्वजनिक उद्योग एवं विभाग को न केवल सुरक्षित करना है बल्कि उसे और मजबूत बनाना है। 

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है कि हमारी केंद्र और राज्य की सरकारें सार्वजनिक उपक्रमों की विरोधी है, श्रमिक विरोधी हैं और जनविरोधी हैं। इसके लिए इस देश के सभी मजदूरों में राजनीतिक एवं सामाजिक चेतना की आवश्यकता है।

संगोष्ठी में जिला ट्रेड यूनियन काउंसिल के महामंत्री एवं उत्तर प्रदेश बैंक एंप्लाइज यूनियन के अध्यक्ष नरेंद्र प्रसाद मिश्र, जिला ट्रेड यूनियन काउंसिल के संरक्षक रामबरन सिंह, उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारी संघ के जिला मंत्री राम सूरत, उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण श्रमिक यूनियन के जिला अध्यक्ष आर डी यादव, जिला मंत्री राघवेंद्र मिश्र, मजदूर नेता विजय सिंह, संतोष सिंह एडवोकेट, शिव शंकर मौर्य, अरविंद कुमार आदि ने अपने विचार रखे।

सभी वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान समय श्रमिक आंदोलन के लिए अत्यंत ही चुनौतीपूर्ण है और इस चुनौती का दृढ़ता और मजबूती के साथ मुकाबला करना होगा। 

इस अवसर पर शिकागो के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। साथ ही अब तक देश और दुनिया के तमाम श्रमिक आंदोलनों में शहीद श्रमिकों और उनके नेताओं की शहादत को याद किया गया। अंत में सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापन सुरेश शर्मा ने किया।