संस्कृत सभी भाषाओं की जननी तथा हिंदी उसका प्राण है- रामसेवक त्रिपाठी एडवोकेट
संस्कृत सभी भाषाओं की जननी तथा हिंदी उसका प्राण है- रामसेवक त्रिपाठी एडवोकेट
डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज
प्रतापगढ़, 29 सितम्बर।
अवधी सम्राट कविवर उन्मत्त द्वारा स्थापित 'कवि कुल' के तत्वावधान में हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत पंडित सूर्यबली पांडे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की स्मृति में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम वरिष्ठ साहित्यकार पंडित राम सेवक त्रिपाठी एडवोकेट लोकतंत्र रक्षक सेनानी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित देवेंद्र प्रकाश ओझा एडवोकेट ने कहा कि आज हिंदी हमारी राजभाषा के रूप में विराजित है किंतु राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी, लेकिन विदेशों में भी अनेकों विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ाई जा रही है। हिंदी हमारे जीवन के अंग अंग में बसती है।
धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने कहा कि हम जनपद वासियों को इस बात का गौरव है कि जब संविधान निर्मात्री के सामने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने संविधान को प्रस्तुत किया तो इसी जनपद के एक महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और इसी जिला कचहरी में अधिवक्ता रहे पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय ने उस पर हिंदी में हस्ताक्षर किया था।
उन्होंने कहा कि हिंदी के लिए प्रोफेसर वासुदेव सिंह तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष डॉ राजेश्वर सहाय त्रिपाठी एडवोकेट पंडित विद्या शंकर पांडे एडवोकेट पूर्व विधायक ने जनपद में हिंदी भाषा के उन्नयन के लिए अपना विशेष योगदान दिया।
उन्होंने बताया कि पंडित कृपा शंकर ओझा एडवोकेट लोकतंत्र रक्षक सेनानी ने अंग्रेजी हटाओ आंदोलन में 1964 में डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के आवाहन पर कोलकाता से अमृतसर जा रही पंजाब मेल पर अंग्रेजी में जो अक्षर लिखे थे उन पर कालिख पोत करके विरोध जताया और जेल गए। वह इसी वकील परिषद के सदस्य थे।
अध्यक्षता कर रहे पंडित रामसेवक तिवारी एडवोकेट लोकतंत्र रक्षक सेनानी ने कहा कि देश में अनेक भाषाएं हैं किंतु केंद्र सरकार दो तिहाई बहुमत में थी उसे चाहिए था कि हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने का कार्य करती।
उन्होंने कहा कि हमें अफसोस है कि आज अदालतों में हम सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में हम अपनी याचिका अंग्रेजी में प्रस्तुत कर रहे हैं और उनका फैसला भी अंग्रेजी भाषा में आ रहा है। हम याचिका को दावा कहते हैं।
उन्होंने कहा कि यह सत्य है कि अब अनेकों फैसले हिंदी में सुनाए जा रहे हैं। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी एवं हिंदी उसका प्राण है।
धर्माचार्य श्री ओमप्रकाश पाण्डेय द्वारा अधिवक्ताओं को माल्यार्पण कर अंगवस्त्रम प्रदान करके सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर पंडित राधेश्याम शुक्ला एडवोकेट, विष्णु दत्त मिश्र प्रसून, पंडित सुरेश नारायण तिवारी एडवोकेट, राधे कृष्ण त्रिपाठी एडवोकेट, चिंतामणि पांडे एडवोकेट, प्रेम कुमार त्रिपाठी एडवोकेट, रमेश पांडे एडवोकेट, रामेंद्र सिंह एडवोकेट, राम सिहासन मिश्र एडवोकेट, राम प्रसाद शुक्ला एडवोकेट, रामपाल सिंह एडवोकेट, अवधेश ओझा एडवोकेट, सुरेश पांडे संभव, शेषनारायण दुबे राही, रामनिवास उपाध्याय एडवोकेट, अवधेश प्रसाद ओझा एडवोकेट, सुरेश मिश्रा एडवोकेट, गया प्रसाद एडवोकेट, श्रीकांत जी एडवोकेट, लालता प्रसाद लहरी एडवोकेट सहित तमाम अधिवक्ताओं एवं साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं एवं विचारों के द्वारा हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने की मांग किया।
कार्यक्रम का संचालन सुरेश नारायण दुबे एडवोकेट व्योम तथा आभार प्रदर्शन पंडित संतोष त्रिपाठी एडवोकेट ने किया।