राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नगर प्रतापगढ़ द्वारा शरद पूर्णिमा उत्सव कार्यक्रम का आयोजन।

इस अवसर पर जिला प्रचारक श्री शिव प्रसाद जी, जिला कार्यवाह श्री हेमंत जी, काशी प्रांत से  श्रीमान शशि भाल जी एवं कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में जिला सह समरसता प्रमुख प्रभा शंकर पांडे रहे उपस्थित रहे।    
 
ग्लोबल भारत न्यूज

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नगर प्रतापगढ़ द्वारा शरद पूर्णिमा उत्सव कार्यक्रम का आयोजन।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

प्रतापगढ़, 29 अक्टूबर।

इस अवसर पर जिला प्रचारक श्री शिव प्रसाद जी, जिला कार्यवाह श्री हेमंत जी, काशी प्रांत से  श्रीमान शशि भाल जी एवं कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में जिला सह समरसता प्रमुख प्रभा शंकर पांडे रहे उपस्थित रहे।          

इस अवसर पर मुख्य वक्ता प्रभा शंकर पांडे ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत की सनातन परंपरा रही है हम प्राकृतिक एवं आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से पूरी दुनिया को समृद्ध रखना चाहते हैं। इस धरा पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के मन में जीव मात्र के प्रति प्रेम और एक दूसरे के प्रति आपसी सद्भाव व भाईचारे की विचारधारा सब के मन में अग्रसर रहे, ऐसा हमारा प्रयास रहा है। 

उन्होंने कहा कि भारत ही एक ऐसा राष्ट्र है जो पूरी दुनिया को दिशा देने का काम करता है भारत उत्सवों का देश है यहां पर प्रकृति पूजा से लेकर के हर प्राणी जो इस धरा पर रहता है सब के प्रति श्रद्धा का प्रेम रखना हम सब का कर्तव्य है। आज ही के दिन   महाकवि महर्षि वाल्मीकि का जन्म हुआ था। 

उन्होंने कहा कि वाल्मीकि का बचपन का नाम रत्नाकर था इनके पिता का नाम सुमाली था इनका पालन पोषण भील प्रजाति के लोगों ने किया था और प्रारंभिक जीवन बड़ा ही संघर्षमय था। वाल्मीकि का जीवन त्याग समर्पण और समरसता से भरा पड़ा है इन्हें ब्रह्म ज्ञान होता है और इनका नाम रत्नाकर से बदलकर वाल्मीकि कहा जाने लगा। वाल्मीकि का अर्थ होता है आंतरिक शक्ति का आकर्षण यानी उनके मुख मंडल पर लोगों को ज्ञान प्रदान करने वालीआभा दिखती थी। 

उन्होंने बताया कि शरद पूर्णिमा का ऐसा अवसर है प्रकृति पूरी तरीके से संतुलित यानी जिस मौसम में ना गर्मी का असर दिखता हो  न ठंडी का असर दिखता हो ऐसे मौसम में आज के दिन चंद्रमा अपनी संपूर्ण कलाओं के साथ पूर्णता को प्राप्त होता है और चंद्रमा की जो किरण धरा पर पड़ती है उनमें एक विशेष प्रकार की ऊर्जा  रहती है। यदि यह मनुष्य के शरीर में प्रवेश करती है तो निश्चित रूप से मनुष्य निरोग होता है और उसके अंदर एक विशेष प्रकार की ऊर्जा का संचार होता है। 

आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि वाल्मीकि का जीवन समरसता प्रधान जीवन था और समाज के प्रत्येक वर्ग वाल्मीकि को अपना पूर्वज मानते हैं।वाल्मीकि का संपूर्ण जीवन सामाजिक समरसता और  एकत्व का प्रतीक है।

इस अवसर पर सर्वोत्तम, राजा जी, अंकित, पीयूष, सतीश, अजय, देवापि, प्रभात, मिश्रा सुमित, नगर प्रचारक आलोक जी, सुधांशु, अमित, देव जी, शिव कुमार जी, दिनेश जी, पंकज आदि उपस्थित रहे।