भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने राष्ट्रीय जनगणना की मांग किया।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने राष्ट्रीय जनगणना की मांग किया।
डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज
प्रतापगढ़, 5 सितम्बर।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी राष्ट्रीय एवं प्रांतीय आह्वान पर स्थानीय इकाई ने आज प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी प्रतापगढ़ को सौंपा।
इस अवसर पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला काउंसिल प्रतापगढ़ की ओर से ज्ञापन में मुख्य रूप से कहा गया है कि जनगणना को 10 वर्ष के बाद 2021 में संपन्न होना चाहिए था परंतु कोरोना के कारण ऐसा नहीं हो सका।
लेकिन कोरोना के बीत् जाने के बाद भी 2024 का भी आधा वर्ष गुजरने के बाद भी सरकार की तरफ से राष्ट्रीय जनगणना की कोई कार्यवाही दिखाई नहीं दे रही है।
भारतीय जनता पार्टी शायद डरती है ।भारतीय जनता पार्टी सबका साथ सबका विकास का नारा देती रहती है परंतु वह खोखला है। सदियों सदियों से हमारे देश की बनावट ऐसी है कि उसके सामाजिक जीवन में असमानता मौजूद है । भारत ही एकमात्र देश है जिस देश में अमीर गरीब का अंतर तो है ही साथ ही साथ व्यक्ति की पैदाइश से उसकी जाति से उसका भविष्य तय होता है। ऊंच नीच का कारोबार चलता है। ऊंच नीच की व्यवस्था से करोड़ों लोगों को समाज ने सामाजिक बराबरी से वंचित कर दिया।
आधुनिक भारत में संविधान निर्माताऔ ने उसको तोड़ा और 1950 में रिजर्वेशन की व्यवस्था की फिर इस व्यवस्था का विकास हुआ और श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार ने पिछड़ों का आरक्षण सुनिश्चित किया। हमारे समाज में जाती का ऊंच नीच मौजूद है किसी भी आधुनिक समाज में उसको स्वीकार नहीं किया जा सकता ।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ऊंच-नीच के सामाजिक विचार की और वास्तविकता की घोर विरोधी है।सरकारों का फर्ज है कि जो सामाजिक अन्याय से पीड़ित रहे हैं उनको सामाजिक न्याय मिले।
सामाजिक न्याय तभी मिल सकता है जब देश के 140 करोड लोगों की वैज्ञानिक सांख्यिकी के आंकड़े हमारे पास मौजूद हो और समाज को पता हो कि किस जाति के कितने लोग हैं और कितने लोग पिछड़े है या कितने लोगों को पिछड़ा रखने के लिए अन्यायपूर्ण सामाजिक व्यवस्था ने मजबूर किया है ।
फिर ऐसे यत्न किए जाएं कि वह सामाजिक पिछड़ेपन से उभरे और एक ऐसी व्यवस्था हो कि समाज का हर एक प्राणी सामाजिक रूप से बराबर हो और चाहे इस काम के लिए 10-20 पीढ़ियां बीत जाएं ,सैकड़ो वर्ष बीत जाए पर यह काम एक न एक दिन प्रारंभ किया ही जाना चाहिए।
संविधान निर्माताओं ने इस व्यवस्था को 1950 में प्रारंभ कर दिया था अब इसको और आगे ले चलने की आवश्यकता है।इसलिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मांग करती है कि पांच सितंबर शिक्षक दिवस है और यह शिक्षक दिवस हम "न्याय दिवस" के रूप में मना रहे हैं। इस नारे का अभिप्राय है कि देश के नागरिकों को ,जो पिछड़े हैं, को सामाजिक न्याय प्राप्त हो। सामाजिक न्याय मिलेगा तो गरीबी और अमीरी की भी असमानता दूर होगी।
हमारे प्रदेश के किसान, मजदूर, दलित, पिछडे,छात्र,युवा महिलाए व गरीब वर्ग के लोग पूरी तरह से सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, रूप से निचले पायदान पर खडे होने को मजबूर हैं ।
श्रमिक समाज के 88% पिछड़े दलित ही मूल रूप से किसान, मजदूर हैं जो वास्तविक गणना न होने से अपने अधिकार से वंचित हैं। इन्ही के लडके बेरोजगारी व शिक्षा के अभाव में दूर दूर भटकने को मजबूर हैं ।निजी शिक्षा व चिकित्सा लूट के अड्डे बन गए हैं ।राज्य एवं केन्द्र के अनेकों विभाग भष्टाचार मे सराबोर है ।
वहीं दूसरी ओर बजट का बन्दरबांट जारी है । अधिकतर निर्माण कागजी व गुणवत्ता विहीन है ।आर्थिक तंगी के चलते आये दिन किसान, मजदूर , महिलाएं आत्महत्या को मजबूर है ।ग्रामपंचायत, जिलापंचायत, नगर निगम, नगरपंचायतो के बजट को मिलजुल कर डकारा जा रहा है । तंत्र का बड़ा हिस्सा लूट और बेईमानी के मायाजाल मे मस्त है।
ज्ञापन में मुख्य रूप से जो मांगे की गई हैं वह इस प्रकार हैं- जातीय जन गणना तत्काल कराई जाय, संबिदा व आउटसोर्सिंग, कर्मचारियों को नियमित कर्मचारी घोषित किया जाए, किसानों के समस्त कर्जे माफ किए जायें, एम एस पी की गारन्टी दी जाए, मनरेगा को युध्द-स्तर पर चलाया जाय, 500रू दैनिक मजदूरी व 300 दिनो के काम की गारन्टी दी जाए, निजी शिक्षा और चिकित्सा की हो रही लूट रोकी जाय, सांसद - विधायक, निधियों के कामों की उच्च स्तरीय तकनीकी जांच कराई जाय, नजूल भूमि अधिग्रहण 2024 को रोका जाय, ग्रामीण स्तर मे अठारहः घंटे बिजली दी जाय, अवारा पशुओं से फसलें बचाई जायें, हर वर्ष हो रहे वृक्षारोपण की जांच कराई जाय।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य परिषद के सदस्य हेमंत नंदन ओझा, जिला सह मंत्री निर्भय प्रताप सिंह, आलोक सिंह, रजनीश सिंह, राम स्वरूप पल, आसिफ अहमद, अशोक कुमार,राजू सिंगब,सीताराम,पंकज शुक्ला, राम लौट, ज्ञानेन्द्र, सुरेश शर्मा विजय सिंह संतोष प्रजापति आदि उपस्थित रहे ।