न्यूनतम मजदूरी वेज बोर्ड के गठन की मांग को लेकर ट्रेड यूनियन काउंसिल का प्रदर्शन।
न्यूनतम मजदूरी वेज बोर्ड के गठन की मांग को लेकर ट्रेड यूनियन काउंसिल का प्रदर्शन।
डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज
प्रतापगढ़, 9 अगस्त।
भारत छोड़ो आंदोलन दिवस के अवसर पर आज जिला ट्रेड यूनियन काउंसिल (एटक) प्रतापगढ़ ने जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा।
प्रदर्शन में कॉर्पोरेट की सेवा में लगी हुई योगी सरकार द्वारा काम के घंटे 12 करने के कानून को विधानमंडल से पारित करने का विरोध किया गया।
राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन में उनसे अनुरोध किया गया कि वह आधुनिक गुलामी को शुरू करने वाले कारखाना (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक 2024 को अनुमति न प्रदान करें। ज्ञापन में कहा गया कि योगी सरकार द्वारा प्रदेश की अर्थ व्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर बनाने के नाम पर काम के घंटे 12 करने का लाया कानून अवैधानिक है।
यह कारखाना अधिनियम 1948 की धारा 5 का उल्लंघन है। यह धारा स्पष्ट कहती है कि देश में आपातकालीन स्थिति में ही कोई भी प्रदेश सरकार केंद्र सरकार के कारखाना अधिनियम में संशोधन कर सकती है।
सच्चाई यह है कि अभी देश में कोई भी आपातकाल नहीं लगा हुआ है। ज्ञापन में कहा गया कि केंद्र की मोदी सरकार भी लेबर कोडों के जरिए काम के घंटे 12 करने पर आमादा है।
देश के कई राज्यों में तो इसे कर दिया गया है और कर्नाटक जैसे राज्यों में आईटी सेक्टर में 14 घंटे काम करने का आदेश जारी किया गया है। काम के घंटों में की जा रही है यह वृद्धि मजदूरों को काम करने में ही असक्षम बना देगी और इसका उत्पादन पर बेहद बुरा असर होगा। यही नहीं इससे बेरोजगारी में बड़ा इजाफा होगा।
ज्ञापन में कहा गया कि उत्तर प्रदेश में हालत बहुत बुरी है न्यूनतम मजदूरी कानून के हिसाब से उत्तर प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी का वेज रिवीजन 2019 में हो जाना चाहिए था जिसे आज तक नहीं किया गया। परिणामत: इस भीषण महंगाई में बेहद कम वेतन में मजदूरों के लिए अपना परिवार चलाना कठिन होता जा रहा है।
ज्ञापन में कहा गया कि उत्तर प्रदेश में असंगठित मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है। ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत 8 करोड़ से ज्यादा मज़दूरों के बीमा, पेंशन, आवास, पुत्री विवाह अनुदान और मुफ्त शिक्षा की मांग को अनसुना कर दिया गया है।
सरकार ने चुनाव में वादा किया था कि आंगनबाड़ी, आशा, मिड डे मिल रसोईयों को सम्मानजनक मानदेय दिया जाएगा लेकिन आज सरकार इसे करने को तैयार नहीं है।
हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद रिटायर्ड आंगनबाड़ियों को ग्रेच्युटी नहीं दी जा रही है और मिड डे मील रसोइयों को न्यूनतम वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है।
घरेलू कामगारों के लिए केंद्रीय कानून बनाने और पुरानी पेंशन को बहाल करने पर भी सरकार तैयार नहीं है। ज्ञापन में भारत के हर नागरिक के सम्मानजनक जीवन को सुनिश्चित करने, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की गारंटी करने, सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों को तत्काल भरने और संसाधन जुटाने के लिए सुपर रिच की संपत्ति पर समुचित टैक्स लगाने की मांग को भी उठाया गयाl
प्रदर्शन करने वालों का नेतृत्व एटक के प्रांतीय मंत्री हेमंत नंदन ओझा कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों में प्रमुख रूप से जिला ट्रेड यूनियन काउंसिल के महामंत्री एवं उत्तर प्रदेश बैंक एम्पलाइज यूनियन के महामंत्री एन पी मिश्रा, लाल झंडा जल निगम मजदूर यूनियन के जिला मंत्री अजय कुमार श्रीवास्तव, उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण श्रमिक यूनियन के जिला मंत्री राघवेंद्र कुमार मिश्रा, पल्लेदार मजदूर यूनियन के मंत्री महेश सरोज, मजदूर नेता एवं जिला पंचायत सदस्य जितेंद्र कुमार पटेल, उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारी संघ खंड कमेटी गड़वारा के अध्यक्ष एवं पूर्व जिला पंचायत सदस्य राम अचल , उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारी संघ चिलबिला उपखंड के अध्यक्ष शिवकुमार सिंह, मजदूर नेता जितेंद्र कुमार पांडे, मनोज पांडे आदि प्रमुख रूप से थे।
ज्ञापन के उपरांत प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया गया कि एक सप्ताह तक श्रमिक जागरूकता के लिए सरकार की श्रम विरोधी नीतियों एवं योजनाओं के संबंध में अवगत कराया जाएगा। यदि राज्य एवं केंद्र सरकार के द्वारा अपना हठवादी रवैया नहीं छोड़ा जाता तो देश मजबूत श्रमिक आंदोलन के लिए मजबूर होगा।