शामली के जिलाधिकारी ओम प्रकाश वर्मा पर मुकदमा दर्ज,जाने क्या था मामला

जिलाधिकारी शामली ओमप्रकाश वर्मा समेत 38 लोगो पर जमीन को फ्री होल्ड करने के लिए कूटरचित दस्तावेज तैयार कर साजिश रचने के मामले में एफआईआर दर्ज हुई है । 
 
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शामली के जिलाधिकारी ओम प्रकाश वर्मा पर मुकदमा दर्ज,जाने क्या था मामला

 जिलाधिकारी शामली ओमप्रकाश वर्मा समेत 38 लोगो पर जमीन को फ्री होल्ड करने के लिए कूटरचित दस्तावेज तैयार कर साजिश रचने के मामले में एफआईआर दर्ज हुई है । 

लखनऊ। जिलाधिकारी शामली ओमप्रकाश वर्मा पर जमीन को फ्री होल्ड करने के लिए कूटरचित दस्तावेज तैयार कर साजिश रचने के मामले में पुलिस ने केस दर्ज मामले की जांच पड़ताल में जुटी है।जिलाधिकारी शामली ओमप्रकाश वर्मा समेत 38 लोगो पर जमीन को फ्री होल्ड करने के लिए कूटरचित दस्तावेज तैयार कर साजिश रचने के मामले में एफआईआर दर्ज हुई है । 25 साल पुराने मामले में ललितपुर के तत्कालीन एडीएम समेत 38 लोगों पर मुकदमा दर्ज।


शहर के मोहल्ला सिविल लाइन निवासी लखन यादव ने न्यायालय को एक प्रार्थना पत्र दिया था। इसमें बताया कि शासन की नजूल भूमि फ्रीहोल्ड के जरिये बेचे जाने की नीति के तहत तत्कालीन एडीएम ने 1998-99 में स्टेशन रोड पर नजूल आराजी संख्या 1740 रकबा 2.48 एकड़ को फ्रीहोल्ड किया था। इसके लिए कूटरचित दस्तावेज बनाए गए। इस साजिश में तत्कालीन एडीएम के साथ नजूल लिपिक रमाकांत दीक्षित, जिलाधिकारी कार्यालय के लिपिक रमेश चंद्र शामिल रहे। यह पूरी साजिश नवीन सिंघई, कोमलचंद्र सिंघई, कुमकुम गुप्ता, संतोष श्रीवास्तव, दिनेश श्रीवास्तव, मंजू श्रीवास्तव, सोनल जैन, महेंद्र कठरया, हुकुमचंद्र खजुरिया, जगदीश अग्रवाल, अलका गुप्ता, मीना गुप्ता, राजीव कुमार, सुशील कुमार गुप्ता, नरेंद्र कुमार शर्मा, जगदीश नारायण अग्रवाल व 10-12 अज्ञात को लाभ पहुंचाने के लिए रची गई।

इनमें हुकुमचंद्र खजुरिया व जगदीश नारायण अग्रवाल की मौत के बाद उनके वारिस विष्णु अग्रवाल, भरत अग्रवाल, रामकिशन अग्रवाल, केदार अग्रवाल, सुमतरानी जैन, अजित कुमार खजुरिया, शांत उर्फ भूषण खजुरिया, आलोक खजुरिया, राहुल खजुरिया, राजीव खजुरिया उक्त दस्तावेजों से अनुचित लाभ ले रहे हैं। प्रार्थना पत्र में यह भी बताया कि फ्रीहोल्ड आवेदनकर्ताओं ने आराजी संख्या 1740 के कुल रकबे के कूटरचित दस्तावेज प्रस्तुत किए। जमीन का बंटवारा न करके प्लॉटिंग कर ली। जबकि मौके पर फ्रीहोल्ड आवेदनकर्ताओं के कथन व प्रस्तुत दस्तावेज अलग थे। इसकी शिकायत पुलिस से की गई थी। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
नगर पालिका ने की थी मामले की जांच
मामले की जांच नगर पालिका परिषद ने की थी। इसमें कच्चे-पक्के मकानों की जांच व सूची नगर पालिका ने सक्षम अधिकारियों के सामने प्रस्तुत भी किया था। लेकिन इस तथ्य की अनदेखी की गई और बेशकीमती जमीन को हथिया लिया गया। इससे शासन को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।

कब-क्या हुआ
बंदोबस्ती नक्शे में 1740 की भू आकृति के क्षेत्रफल 9915 वर्गमीटर से अधिक 10405 वर्गमीटर।
1740 आराजी से लगी 1741 की भूमि का अंश भाग प्रभावित।
फ्रीहोल्ड न किए जाने के लिए नगर पालिका व मौके पर रहे रहे लोगों ने की थी मांग।
वास्तविक भूस्वामियों की जमीन पर अवैध कब्जा दिखाकर किया गया था।
फ्रीहोल्ड के समय करीब सौ परिवार उक्त जमीन पर कच्चे एवं पक्के मकानों सहित रह रहे थे।