सुल्तानपुर जनपद में अवैद्य सराय संचालकों को नोटिस जारी

इस एक्ट का अनुपालन कराने की सुध प्रशासनिक अधिकारियों ने वर्षों से नही ली। अगर वह एक्ट की सुध ले लेते तो शहर में अवैध होटलों की भरमार संचालित ही नहीं हो पाती। ब्रिटिश हुकूमत में वर्ष 1867 में सराय एक्ट बनाया गया था, इस एक्ट में आज भी होटलों का पंजीकरण किया जा रहा है। एक्ट में सराय से आशय ऐसे भवन से माना गया था जिससे यात्रियों के आश्रय और आवास के लिए प्रयोग में लाया जाता हो एक्ट में प्राविधान है।
 
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रिपोर्ट- प्रदीप सिंह संवाददाता

ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क

सुल्तानपुर, 18 अप्रैल:- बीते वर्ष प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पॉस इलाके में शुमार हजरतगंज स्थित लेवाना होटल में मानकों को दरकिनार कर संचालन जारी था, जिसमें अग्निकाण्ड हादसे के चलते जनहानि होने के बाद मामला सुर्खियों में आया तो अग्निशमन विभाग द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र समेत तमाम खामियां उजागर हुई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले को स्वतः संज्ञान में लिया तो प्रदेश के समस्त जनपदों में होटल व गेस्ट हाउसों के निर्माण व मानकों की जांच शुरू कर दी गयी, लेकिन नतीजा महज कागजों तक सिमटता नजर आ रहा है।

पूरा मामला- ताजा मामला सुलतानपुर कोतवाली नगर क्षेत्र के बस स्टॉप से जुड़ा बताया जा रहा है, जहां राज होटल में मानकों को दरकिनार कर पुनर्निर्माण के दौरान व्यवसायिक प्रयोग करते हुए बेसमेंट भी नया बनाया गया है। वही शिकायतकर्ता राजशेखर सिंह ने जिला अग्निशमन अधिकारी व नियत प्राधिकारी विनियमित क्षेत्र को पत्र लिखते हुए कहा कि उक्त होटल में अग्निशमन के सुरक्षा मानकों की व नियत प्राधिकारी द्वारा जमकर अवहेलना की गयी है। जिसके चलते किसी भी वक्त बड़ी अप्रिय घटना की आशंका जताई गई है, शिकायती पत्र में शिकायतकर्ता ने विनियमित क्षेत्र के नियत प्राधिकारी द्वारा नक्शा स्वीकृति प्रदान नहीं किए जाने की बात को भी उजागर किया। जिसके चलते अग्निशमन विभाग व विनियमित क्षेत्र की पोल खुलती नजर आ रही है।

दरसअल जानकारी के अनुसार 155 वर्ष पूर्व ब्रिटिश काल में बनें सराय एक्ट में स्पष्ट है कि जब तक सराय (होटल) का पंजीकरण सराय एक्ट में नहीं कर लिया जाएगा, तब तक उसमें किसी यात्री या पर्यटक को नहीं ठहराया जा सकेगा। इस एक्ट का अनुपालन कराने की सुध प्रशासनिक अधिकारियों ने वर्षों से नही ली। अगर वह एक्ट की सुध ले लेते तो शहर में अवैध होटलों की भरमार संचालित ही नहीं हो पाती। ब्रिटिश हुकूमत में वर्ष 1867 में सराय एक्ट बनाया गया था, इस एक्ट में आज भी होटलों का पंजीकरण किया जा रहा है। एक्ट में सराय से आशय ऐसे भवन से माना गया था जिससे यात्रियों के आश्रय और आवास के लिए प्रयोग में लाया जाता हो एक्ट में प्राविधान है। कि जिलाधिकारी एक रजिस्टर रखेगा जिसमें वह स्वयं या उसके द्वारा नामित व्यक्ति अपने अधिकार क्षेत्र के अंदर आने वाली सभी सरायों के नाम, निवास स्थान की प्रविष्टि करेगा सराय जब तक पंजीकृत नहीं कर ली जाएगी तब तक उसमें किसी व्यक्ति को ठहराया नहीं जाएगा या उल्लंघन करने पर सील कर दिया जाएगा। वही एसडीएम सदर सीपी पाठक की मानें तो होटल्स में फायर नार्मस एक आवश्यक प्रक्रिया है, जिसकी समय समय पर जांच की जाती है इस समय गर्मी के दिन है जिसको ध्यान में रखते हुए सीएफओ को लेटर जारी किया गया है। जांच रिपोर्ट मिलते ही गड़बड़ी करने वालों को नोटिस जारी करेंगे, सराय अधिनियम का शतप्रतिशत पालन कराया जाएगा अवैधानिक तौर पर चलने वाले होटलों को नोटिस जारी किया जाएगा राज होटल बस अड्डा के सन्दर्भ में एक शिकायत पत्र प्राप्त होने की स्वीकारोक्ति करते हुए कहाकि सम्बंधित क्षेत्र के जेई को जांच सौंपी गयी है अगर दोषी पाए जाते हैं तो कार्यवाही की जाएगी।