बनारस पुलिस के लिए किरकिरी बना डीएक्सएम गैंग

कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ रहे बड़े घरों के बच्चों की उन्हें सदस्यता और संरक्षण देने के नाम पर एक फीस ली जाने लगी मोटरसाइकलों पर DXM लिखना इन लड़को को अलग पहचान देने लगा, बढ़ती संख्या एवं एक वाट्सएप मैसेज से सैकड़ो युवाओं को कही भी एकत्रित करने की क्षमता को देख कर छात्रसंघ से लगातार लोकल नेताओ में भी इनकी पैठ बढ़ती गई।
 
DXM gang

ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क

वाराणसी, 08 अगस्त:- लगभग 5 बर्ष पूर्व कुछ लड़कों ने वॉट्सऐप और फेसबुक पेज बना कर उसका नाम दिया DXM GANG, सोशल मीडिया पर ये लड़के अपनी बड़ी सँख्या में तरह तरह की फोटो डाल कर अपनी ताकत दिखाने लगें, नतीजा यह हुआ कि कम उम्र के और भी लड़के उनसे जुड़ने लगें। DXM गैंग ने अपना पहला शिकार बनाया कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ रहे बड़े घरों के बच्चों की उन्हें सदस्यता और संरक्षण देने के नाम पर एक फीस ली जाने लगी मोटरसाइकलों पर DXM लिखना इन लड़को को अलग पहचान देने लगा, बढ़ती संख्या एवं एक वाट्सएप मैसेज से सैकड़ो युवाओं को कही भी एकत्रित करने की क्षमता को देख कर छात्रसंघ से लगातार लोकल नेताओ में भी इनकी पैठ बढ़ती गई।

गैंग का हिस्सा न बनने पर छात्रों की मांगे नही होती है पूरी- DXM GANG का हिस्सा ना बनने या मांगे पूरी ना करने पर कॉन्वेंट स्कूल के बच्चों को टारगेट करना इनका जैसे पेशा हो गया सूत्रों की माने तो 500 से 1000 रुपया मासिक शुल्क सदस्यों से लिया जाने लगा। जिसके एवज में उन बच्चों को सरंक्षण और अपने स्कूल कॉलेजों में भौकाल मिलता रहा। पैसा और ताकत बढ़ी तो भूख भी बढ़ गई अब हथियार खरीदे जाने लगे भूमाफियाओ के लिये भी काम करने लगे। सूचनाओं और शिकायतें भी बढ़ती गई मुकदमे लिखे गए छोटी मोटे सदस्यो की गिरफ्तारी भी हुई लेकिन कोई ठोस कार्यवाही नही हुई। मनबढ़ DXM Gang के गुर्गों ने 2 दिन पूर्व पुलिस लाइन के समीप फायरिंग कर अपनी मौजूदगी फिर से बता ही दी, वैसे DXM का प्रभाव तो बनारस के लगभग हर क्षेत्र में है लेकिन थाना कैन्ट, थाना लालपुर, थाना शिवपुर, थाना सारनाथ एवं जैतपुरा में इस गैंग के सदस्यों ने अपनी पकड़ बना ही ली है।