जर्मनी पहुंचे पीएम मोदी का भव्य स्वागत ,चुनौती के साथ होगी नए रिस्तो की शुरुवात

भारत का प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी पहली बार 2014 में जर्मनी गए थे, उस समय वह नए थे और जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल विश्व मंच पर स्थापित राजनेता। पारस्परिक संबंधों के हिसाब से जर्मनी भारत का महत्वपूर्ण साझेदार है, इस लिहाज से यह यात्रा महत्वपूर्ण थी। भारतीय प्रधानमंत्री को ब्राजील भी जाना था और वह वहां जाते हुए इस बार फ्रैंकफर्ट के बदले बर्लिन में रुके ताकि जर्मन चांसलर से मिल सकें।

 
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ग्लोबल भारत न्यूज़ नेटवर्क 

नई दिल्ली  2 मई 2022। तीन देशो की यात्रा के पहले चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को जर्मनी पहुंचे जहा बर्लिन शहर में  इंतज़ार कर रहे प्रवासी भारतीयों ने गर्मजोशी के साथ उनका स्वागत किया।  पीएम मोदी आज  जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्ज के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे तथा भारत-जर्मनी अंतर सरकारी विचार विमर्श कार्यक्रम की सह अध्यक्षता करेंगे। 

भारत का प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी पहली बार 2014 में जर्मनी गए थे, उस समय वह नए थे और जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल विश्व मंच पर स्थापित राजनेता। पारस्परिक संबंधों के हिसाब से जर्मनी भारत का महत्वपूर्ण साझेदार है, इस लिहाज से यह यात्रा महत्वपूर्ण थी। भारतीय प्रधानमंत्री को ब्राजील भी जाना था और वह वहां जाते हुए इस बार फ्रैंकफर्ट के बदले बर्लिन में रुके ताकि जर्मन चांसलर से मिल सकें।

लेकिन इस दौरे पर अंगेला मर्केल से नरेंद्र मोदी की मुलाकात नहीं हुई, लेकिन ब्रांडेनबुर्ग गेट ने उन्हें पूरब और पश्चिम के बंटवारे का अहसास जरूर कराया। कभी जो दीवार पूर्वी और पश्चिमी यूरोप को अलग करती थी, उसके नीचे से पैदल गुजरना प्रधानमंत्री के लिए एक नई आजाद दुनिया का अहसास था। वह भारत को भी इसका हिस्सा बनाना चाहते थे। ब्राजील में हो रहे फुटबॉल विश्वकप ने प्रधानमंत्री की यात्रा की तैयारी करने वाले अधिकारियों की मंशा और लक्ष्यों पर पानी फेर दिया था। इस यात्रा पर जिस दिन मोदी बर्लिन पहुंचे, उसके एक दिन पहले चांसलर मैर्केल ब्राजील के लिए निकल गईं, जहां उनके देश की टीम मेजबान ब्राजील की टीम को हराकर विश्वकप के फाइनल में पहुंच गई थी। 

जर्मनी का मुकाबला लैटिन अमेरिका के ही अर्जेंटीना की टीम से था, जो फुटबॉल के देवता मैराडोना की वजह से जाना जाता है। फुटबॉल की जगह जर्मनी में लगभग वही है जो भारत में क्रिकेट की है। आम राजनीतिज्ञ भले ही फुटबॉल की राजनीति से दूर रहते हों, लेकिन संसद और विधानसभा हो या स्थानीय निकाय, किसी भी चुनाव क्षेत्र की राजनीति की कल्पना फुटबॉल राजनीति के बिना नहीं की जा सकती। फिर चांसलर राष्ट्रीय टीम के गौरव में भागीदार होने की कोशिश क्यों न करतीं? तो नरेंद्र मोदी बर्लिन में थे और बर्लिन में रहने वाली अंगेला मर्केल ब्राजील में। जब तक मोदी ब्राजील पहुंचते, मर्केल वापस बर्लिन लौट आई थीं।