मनगढ़ धाम ट्रस्ट से जुड़े व्यक्ति पर फर्जी बैनामा कर जमीन हड़पने का आरोप, ग्रामीणों का प्रदर्शन प्रतापगढ़।

मनगढ़ धाम ट्रस्ट से जुड़े व्यक्ति पर फर्जी बैनामा कर जमीन हड़पने का आरोप, ग्रामीणों का प्रदर्शन
प्रतापगढ़।विश्वप्रसिद्ध मनगढ़ धाम ट्रस्ट से जुड़े अंशुल गुप्ता पर ग्रामीणों की जमीन फर्जी बैनामे के जरिए हड़पने और ट्रस्ट के प्रभाव में राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा एकतरफा कार्यवाही किए जाने का गंभीर आरोप लगा है। इसी प्रकरण से आक्रोशित सैकड़ों ग्रामीणों ने शनिवार को मनगढ़ धाम के समीप जोरदार प्रदर्शन कर न्याय की मांग की।
बाइट — महिलाएं का बयान
ग्रामीणों ने बताया कि जब तक जगद्गुरु कृपालु जी महाराज जीवित थे, तब तक किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई, परंतु उनके निधन के बाद ट्रस्ट से जुड़े अंशुल गुप्ता द्वारा गरीबों की जमीन हड़पने और दलित बस्ती की राह बंद कराने का प्रयास शुरू कर दिया गया।
गांव के निवासी प्रवीण यादव ने जिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर आरोप लगाया है कि ट्रस्ट से जुड़े अंशुल गुप्ता ने राजस्व विभाग की मिलीभगत से उनकी लगभग तीन बीघे बेशकीमती जमीन फर्जी वसीयत के आधार पर अपने नाम कराने का प्रयास किया।
प्रवीण यादव ने बताया कि पिता के निधन के बाद उक्त भूमि की विरासत उनके और उनकी मां के नाम दर्ज हुई थी। इसी बीच अंशुल गुप्ता ने उनकी बहन से संपर्क साधकर सादे कागज पर फर्जी वसीयत तैयार की और विधि-विरुद्ध तरीके से बैनामा करा लिया। मामला न्यायालय में पहुंचा तो निर्णय प्रवीण यादव के पक्ष में आया।
हालांकि, बाद में ट्रस्ट से जुड़े अंशुल गुप्ता ने न्यायालय को गुमराह करते हुए यह दावा किया कि प्रवीण यादव कथित पिता की जैविक संतान नहीं हैं, अतः उन्हें उत्तराधिकार या संपत्ति पर किसी प्रकार का वैधानिक अधिकार नहीं है। ग्रामीणों के अनुसार, तमाम लोग गवाही देने को तैयार थे, किंतु आरोप है कि राजस्व विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों के कथन सुने बिना ही लगभग 20 वर्ष बाद एकपक्षीय फैसला सुना दिया और भूमि को खारिज दाखिल कर दिया गया।
इस निर्णय से ग्रामीणों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने कहा कि गरीबों के हक की जमीन पर जबरन कब्जा कराया जा रहा है और प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है। वर्तमान में विवादित भूमि पर प्रवीण यादव का कब्जा है, बावजूद इसके वह न्याय के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं।
जब इस संबंध में एसडीएम कुंडा से जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। वहीं तहसीलदार कुंडा ने बताया कि प्रवीण यादव के पिता की दो शादियां हुई थीं और दूसरी पत्नी से जन्मी बेटी के नाम पर वसीयत दर्ज कराई गई थी। तहसीलदार के अनुसार, अधिवक्ताओं की बहस और प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर ही निर्णय सुनाया गया।
हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि यदि दो शादियां भी हुई थीं तो भी प्रवीण यादव और उनकी मां का भूमि पर वैधानिक हक बनता है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह फैसला ट्रस्ट से जुड़े प्रभावशाली व्यक्तियों के दबाव में लिया गया?
फिलहाल पीड़ित न्याय की गुहार लेकर जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगा रहा है। वहीं, ग्रामीणों ने भी पीड़ित के समर्थन में आंदोलन की चेतावनी दी है।



