राजा भैया की तरह अन्य हिन्दू नेता हिंदुत्व के लिए क्यों नही हो पाते मुखर ?
लोगों का कहना है की सब के बूते की नही डंके की चोट पर बात करना

राजा भैया की तरह अन्य हिन्दू नेता हिंदुत्व के लिए क्यों नही हो पाते मुखर ?
लोगों ने माना की सब के बुते की नही डंके की चोट पर बात करना
ग्लोबल भारत डेस्क : गंभीर मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखने वाले राजा भैया के बयान आये दिन नेशनल बुलेटिन बनता है। लाखों फैन फालोवर वाले राजा भैया जब राष्ट्रीय, धार्मिक या सामाजिक मुद्दों पर अपनी बात रखते है तो बरबस चर्चा मे आ ही जाती है। बंगाल के ताजा हालातों पर जिस तरह बेबाकी से राजा भैया ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा की वक्फ तो बहाना मकसद काफिरों को मिटाना है, इसके वायरल होते ही लोगों मे एक बार फिर से सनातनी बेल्ट मे उनके बयान की तारीफ जोरों से हो रही है। ताजा हालातों पर नेताओं की प्रकिया कम आने से जहाँ देश केनहिन्दुओ मे उनके प्रति क्षोभ है क्यों की इस बात पर लोगों मे ये भावना रहती है की उनका सांसद भी उनके धर्म और जाति के हितों की हिफाजत करेगा लेकिन उनका मूक रह जाना उनके समर्थकों में हीन भावना पैदा करती है।
प्रखर और प्रवुद्ध युवा इस बात को सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेट फॉर्म पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करवा रहें है और उनको भी समझ आने लगा की हिंदुओ तुम किस तरह पूर्ववर्ती पीढ़िओ ने कायरता दिखाई रही होगी तभी उनके धर्म पर आघात हुआ, इसके मानने वालों के साथ तरह तरह की वीभत्स घटनायें कारित की गयी, उन्हे अपने ही देश में पलायन से लेकर अपने धन धर्म तक हो हाथ धोना पड़ा। विश्व हिन्दु परिषद के प्रतापगढ़ के पूर्व संगठन मंत्री और तेज तर्रार हिन्दु नेता मनोज मिश्रा ने राजा भैया के बयान पर कहा है की बंगाल मे जिस तरह हिन्दुओं के साथ बर्बर घटनाएं घटित हो रही है और हिन्दु सांसद व नेता प्रतिक्रिया करने मे पीछे है उन्हे आने वाले समय मे हिन्दुओं के प्रकोप का सामना करना पड़ सकता है। राजा भैया एक संवेदनशील हिन्दु राजा है उनके स्वभाव और आचरण मे सनातन की श्रेष्ठ झलक देखने को मिलती है।
वोटों की तुष्टिकरण छोड़े हिंदू नेता कहीं ऐसा न हो जाये की इसके चक्कर मे न मंजिल बचे न मकसद..ये कहना है अमर प्रभा सामाजिक संस्थान के निदेशक अभिषेक पांडे ने कहा की राष्ट्र, समाज और धर्म के लिए मुखर होना ही चाहिए। राजा भैया स्पष्ट वादी राजनेता है उनके बयानों मे एक सामाजिक संदेश होता है। लोगों की बातो के आधार पर हिंदू राजनेताओं मे मुखर न होने के पीछे ये कारण हो सकता है
क्या यही प्रभावी कारण हो सकते है इनके मौन मे
1. अपने लोगो पर विश्वास की कमी या तुष्टीकरण लोगों मे इसी बात की शंका है की इसके चलते मुखर नही हो पाते हिंदू नेता
2. समुदाय के प्रति स्टैंड किलियर नही कर पाने की दशा मे भी हिंदू नेताओं मे आत्म विश्वास की कमी भी एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है
कुल मिलाकार भारत के सर्वोच्च सदन मे बैठने वाले हिंदू नेताओं को अब मौन तोड़कर मैदान मे आना चाहिए, राष्ट्रहित के मुद्दों पर संकीर्ण राजनीति से उपर उठकर काम करने की जरूरत है। उन्हे यह भी स्मरण रखना चाहिए की आज का युवा एडवांस तकनीक केबयुग का नागरिक है। उसे हर विषय और पहलू की जानकारी है कहीं ऐसा न हो जाए की आने वाले चुनाव मे आप उस काबिल ही न बचे की आप से कोई अपेक्षा ही न रहे।