शिक्षिका को मातृत्व अवकाश न देने के मामले मे हाईकोर्ट का कड़ा रुख
आदेश के बाद भी नहीं दिया दूसरा मातृत्व अवकाश, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, निदेशक प्राथमिक शिक्षा, व बीएसए को हाईकोर्ट ने किया तलब

शिक्षिका को मातृत्व अवकाश न देने के मामले मे हाईकोर्ट का कड़ा रुख
आदेश के बाद भी नहीं दिया दूसरा मातृत्व अवकाश, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, निदेशक प्राथमिक शिक्षा, व बीएसए को हाईकोर्ट ने किया तलब
प्रयागराज, सत्ता मे बैठे लोगों का आशीर्वाद कहा जाये या अधिकारिओं की हठ धर्मिता की पद और शक्ति के मद में अधिकारी बेलगाम हो चुके हैं। इन्हें अपने पद की गरिमा का ध्यान नहीं रहता। ये भूल जाते हैं कि व्यवस्था में वह जिस अधिकार को अपना सुपर पॉवर मानते हैं और मनमानी करने से बाज नही आते है जबकी न्यायालय का चाबुक चलते ही वही सुपर पॉवर दूसरे ही पल धराशायी हो जाता है।
यूपी के फर्रुखाबाद जनपद मे तैनात शिक्षिका को मातृत्व अवकाश बीएसए द्वारा नही दिये जाने पर शिक्षिका ने उच्च न्यायालय की शरण लिया। न्यायालय ने शिक्षा निदेशक बेसिक, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा और बीएसए फर्रुखाबाद को न्यायालय मे तलब किया है।
याची किरण देवी के अपील पर न्यायामूर्ति श्याम किशोर शमसेरी की खंड पीठ ने सभी को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय मे तलब किया है। बताते चलें की याची के अधिवक्ता ने बताया की कोई भी महिला सरकारी मुलाजिम अपने सेवा काल मे दो बार 180-180 दिन का अवकाश अपने सेवाकाल मे ले सकती है। न्यायालय ने पूछा है की बिना किसी बड़े कारण के महिला शिक्षिका का अवकाश क्यो नही स्वीकृत किया गया। अब न्यायालय मे साहब क्या बताते है ये दूसरा विषय है लेकिन किसी महिला कर्मी को मातृत्व अवकाश से वंचित रखना अक्षम्य त्रुटि है। ऐसे गैर जिम्मेदार अधिकारी को तत्काल प्रभाव से पद से निलंबित करना चाहिए ताकि महिला अवमानना पर उन्हे अपनी करनी का दंड मिले और उन्हे अपनी असल का पता चल सके।