‘भारत तिब्बत सहयोग मंच’ प्रयागराज ने सांसद प्रवीण पटेल को सौंपा ज्ञापन।
उक्त ज्ञापन भारत-चीन के बीच 1962 में हुए युद्ध में चीन के द्वारा कब्ज़ा की गई भारत की भूमि को वापस लेने (मुक्त कराने) के संदर्भ में सौंपा गया।

‘भारत तिब्बत सहयोग मंच’ प्रयागराज ने सांसद प्रवीण पटेल को सौंपा ज्ञापन।
डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क
प्रयागराज, 19 नवम्बर।
उक्त ज्ञापन भारत-चीन के बीच 1962 में हुए युद्ध में चीन के द्वारा कब्ज़ा की गई भारत की भूमि को वापस लेने (मुक्त कराने) के संदर्भ में सौंपा गया।

“हिंदी -चीनी, भाई-भाई” नारे की पूर्ण रूप से अवहेलना करते हुए एवं भारत-चीन के बीच संपन्न हुए पंचशील समझौते की धज्जियां उड़ाते हुए चीन ने अपने मंसूबों को अंजाम देने हेतु 20 अक्टूबर 1962 को भारत की पवित्र भूमि पर आक्रमण कर दिया।
इस हमले में भारतीय सेना ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए चीनी सेना को नाको-चने चबवा दिया। इस युद्ध में काफी संख्या में भारतीय सैनिकों का बलिदान भी हुआ किन्तु सैनिकों के बलिदान के बावजूद चीन ने भारत के बहुत बड़े भू-भाग पर कब्ज़ा कर लिया।
चीन द्वारा कब्जा की गई भारत की भूमि को मुक्त कराने के लिए 14 नवम्बर 1962 को भारतीय संसद के दोनों सदनों द्वारा संकल्प लिया गया किन्तु उस संकल्प पर अभी तक कोई अमल नहीं किया गया।
संसद को इस संकल्प का स्मरण दिलाने हेतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं भारत-तिब्बत सहयोग मंच (BTSM) के मार्गदर्शक माननीय इंद्रेश कुमार जी के नेतृत्व में संचालित मंच की सभी इकाइयाँ देशभर में 14 नवम्बर को संकल्प स्मरण दिवस के रूप में मनाती हैं।
इसी संदर्भ में भारत तिब्बत सहयोग मंच, प्रयागराज ( काशी प्रांत) ने माननीय सांसद श्री प्रवीण पटेल जी को ज्ञापन सौंपते हुए निवेदन किया कि चीन द्वारा कब्जा की गई भारत की भूमि वापस लेने के लिए आप संसद में आवाज उठायें एवं इस कार्य हेतु उचित वातावरण बनाने की कृपा करें। इसके लिए मंच सदैव आपका आभारी रहेगा।
इस दौरान श्रीमान विजय कुमार पाण्डेय, प्रांत अध्यक्ष (काशी प्रांत), श्री मूलचंद पाल जी, जिला मंत्री, श्रीमान डॉ. अमित राय जी, प्रांत महामंत्री (युवा विभाग ), श्रीमान विजेन्द्र पाठक जी- प्रांत सह प्रचार प्रमुख (काशी प्रांत), श्रीमान अजय मिश्र जी, प्रांत मंत्री (काशी प्रांत ), श्रीमान आशीष तिवारी- यमुनापार अध्यक्ष, श्री राजेंद्र मिश्रा जी- कोषाध्यक्ष, यमुनापार आदि सदस्य सम्मिलित हुए।




