भारत एक दर्शन, दृष्टि, और विचार है- प्रो० गिरीश चंद्र त्रिपाठी।
आज काशी विद्यापीठ में 'विरासत: भारतीय ज्ञान परंपरा' पुस्तक का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो० अंजू सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर जगदीश सिंह दीक्षित द्वारा किया गया।

भारत एक दर्शन, दृष्टि, और विचार है- प्रो० गिरीश चंद्र त्रिपाठी।
डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क
वाराणसी, 22 जून।
आज काशी विद्यापीठ में ‘विरासत: भारतीय ज्ञान परंपरा’ पुस्तक का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो० अंजू सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर जगदीश सिंह दीक्षित द्वारा किया गया।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश की काशी इकाई द्वारा “विरासत भारतीय ज्ञान परंपरा” विषयक पुस्तक का लोकार्पण समारोह महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के डॉक्टर भगवान दास केंद्रीय पुस्तकालय के समिति कक्ष में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा भारत एक भूखंड नहीं है, भारत एक दर्शन, दृष्टि और विचार है। आज संपूर्ण विश्व आतंकवाद के विस्फोट के मुहाने पर खड़ा है, ऐसे में हमारी विरासत से निकले वेद मंत्रों जिसमें “क्रतवो यंतु विश्वत:” की बात कही गई है के मार्ग का अनुसरण करना ही सबके लिए कल्याणकारी होगा।
गोष्ठी का शुभारंभ मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्वलन व सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुआ। तत्पश्चातआयुषी दुबे द्वारा रुद्राष्टकम्, तथा प्रो०अनुपम शाही द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया।
समारोह का शुभारंभ करते हुए राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के पूर्व अध्यक्ष व “विरासत भारतीय ज्ञान परंपरा पुस्तक” के प्रधान संपादक डॉक्टर दीनानाथ सिंह जी ने कहा कि “शिक्षा प्रदान करने का मतलब है कि शिक्षक यह सुनिश्चित करें छात्र में नैतिकता आ रही है कि नहीं और क्या उसका चरित्र बन रहा है। ज्ञान को जानने के लिए पढ़ने की जरूरत नहीं है, सीखने की आवश्यकता है।
विषय प्रवर्तन करते हुए राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की प्रदेश अध्यक्ष प्रोफेसर निर्मला सिंह यादव ने कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राष्ट्र के हित में शिक्षा, शिक्षा के हित में शिक्षक, और शिक्षक के हित में समाज की अवधारणा को मजबूत करने का कार्य कर रहा है। हमें छात्र के अंदर राष्ट्रीय मनोभावों को पिरोने का कार्य करना है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्रीय संगठन मंत्री श्री रामाशीष जी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा श्रुति, स्मृति, और अनुभूति पर आधारित है। परम के भी पार परम है, उसको कैसे प्राप्त करना है यह हमें सुनिश्चित करना पड़ेगा।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि पद से बोलते हुए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के सदस्य डॉक्टर हरेंद्र कुमार राय ने कहा कि हमें अगली पीढ़ी की खुशहाली के लिए भारतीय ज्ञान परंपरा की विरासत को सहेज कर रखना होगा।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि पद से ऑनलाइन सभा को संबोधित करते हुए महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति प्रोफेसर मनोज दीक्षित ने कहा कि हमारी प्राचीन शिक्षा प्रणाली ने व्यक्ति के सर्वांगीण विकास पर ध्यान केंद्रित किया तथा विनम्रता सच्चाई अनुशासन आत्मनिर्भरता और सम्मान जैसे मूल्यों पर बल दिया। शिक्षा व्यवस्था को समावेशी और समावेशन के लिए भारतीय ज्ञान परंपरा का अनुशीलन करना होगा।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि व विद्या भारती पूर्वी क्षेत्र के उपाध्यक्ष डा० रघुराज सिंह ने बदलते हुए समय के साथ ही स्वयं को बदलने की बात करते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा की विरासत में शास्त्र और शास्त्र दोनों को लेकर चलने की आवश्यकता पर जोर दिया।
विशिष्ट अतिथि के रुप में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर के कुल सचिव व परीक्षा नियंत्रक डॉ० विनोद कुमार सिंह एवं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की कुल सचिव डॉक्टर सुनीता पांडेय ने भी अपना विचार व्यक्त किया।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति द्वारा नामित मुख्य अनुशास्ता प्रो० के के सिंह ने “विरासत भारतीय ज्ञान परंपरा” के संपादक मंडल और लेखकों की प्रशंसा करते हुए पुस्तक में प्रस्तुत विचारों को क्रांतिकारी आंदोलन के रूप में जन-जन तक पहुंचाने पर जोर दिया।
संपूर्ण कार्यक्रम के सफल संयोजन में कार्यक्रम सचिव अमिताभ मिश्र डॉ० रवि प्रकाश सिंह प्रो० नलिन कुमार मिश्र डा० राम प्रकाश सिंह यादव रजनी राय का विशेष योगदान रहा।
समारोह में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के उप कुल सचिव श्री अजीत कुमार सिंह व विभिन्न विश्वविद्यालयों के कार्य परिषद सदस्य डॉ० हरिहर प्रसाद सिंह, प्रो० अशोक कुमार सिंह, प्रो० रणंजय सिंह, प्रो० प्रेम प्रकाश सोलंकी, प्रो० अरुण कुमार राय, प्रो० राकेश कुमार पांडेय, प्रो० राघवेंद्र कुमार पांडेय, प्रो० नलिनी श्याम कामिल, प्रो० आनंद शंकर चौधरी, प्रो० सुरेंद्र राम, रामाशीष शर्मा, संतोष तिवारी, नीलम राय, नीलू त्रिपाठी, शीला यादव, गायत्री सिंह, डॉ शिव प्रसाद पांडेय, पंकज त्रिपाठी, प्रदीप यादव, दीपशिखा सिंह, डॉ० सरोज पांडेय, डा०संजय गुप्ता, डा० प्रमोद पांडेय, विजयेन्द्र कुमार सिंह इत्यादि मौजूद रहे।