और अब ‘बैल बचाओ अभियान’ शुरू करेगा ‘नमामि गौ मातरम् फाउंडेशन’
'नमामि गौ मातरम् फाउण्डेशन' के संस्थापक श्री राहुल शर्मा का कहना है कि गोरक्षा की बात तो लगातार हो रही है, लेकिन बैलों की सुरक्षा कैसे होगी, जो खुद भी हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन सकते हैं।

और अब ‘बैल बचाओ अभियान’ शुरू करेगा ‘नमामि गौ मातरम् फाउंडेशन’
डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज
महाकुंभनगर, प्रयागराज; 12 फरवरी।
‘नमामि गौ मातरम् फाउण्डेशन’ के संस्थापक श्री राहुल शर्मा का कहना है कि गोरक्षा की बात तो लगातार हो रही है, लेकिन बैलों की सुरक्षा कैसे होगी, जो खुद भी हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन सकते हैं।
उन्होंने इस महाकुंभ में ‘बैल रक्षा अभियान’ की शुरुआत करते हुए उत्तर प्रदेश की पहली बैल संचालित आटा चक्की का प्रदर्शन किया और संत महात्माओं तथा आम सनातनी श्रद्धालुओं से अपील किया कि इस अभियान का हिस्सा बनें और गोवंश के संरक्षण में योगदान करें।
श्री शर्मा ने इस संवाददाता से बात करते हुए कहा कि बैल सदियों से हमारे पारंपरिक जीवन, कृषि, परिवहन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ दशकों में उन्हें हमारे जीवन से धीरे-धीरे हटा दिया गया, जिससे उनकी संख्या तेजी से घटती जा रही है।
उन्होंने कहा कि यदि हमें बैल बचाने हैं, तो हमें उन्हें फिर से अपनी दिनचर्या में शामिल करना होगा और उत्पादक बनाना होगा। पारंपरिक, बैल-आधारित पर्यावरण हितैषी उद्योग न केवल सतत आजीविका प्रदान कर सकते हैं बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
उन्होंने बैलों की उपादेयता की चर्चा करते हुए बताया कि बैल-चालित घानी से शुद्ध, कोल्ड-प्रेस्ड तेल निष्कर्षण, बैल-चालित आटा चक्की से ताजा, पत्थर से पिसा हुआ आटा, बैल गोबर कास्ट से प्राकृतिक जैविक खाद और कम्पोस्ट, बैल के गोबर से पेंट का उत्पादन जो एंटी-बैक्टीरियल, पर्यावरण के अनुकूल होगा।
उन्होंने कहा कि बैल के गोबर से ईंटें जो टिकाऊ, गर्मी-रोधी निर्माण सामग्री होगी, गौ काष्ठ (गाय के गोबर की लकड़ी) जो पारंपरिक लकड़ी का एक स्थायी विकल्प बनेगा, जो वनों की कटाई को रोकने और प्रदूषण कम करने में मदद करता है।
यदि हम सिर्फ 30% गौ काष्ठ का उपयोग अंतिम संस्कारों में लकड़ी के विकल्प के रूप में करें, तो हम हर साल 20 लाख पेड़ बचा सकते हैं और 4 लाख बैलों का जीवन सुरक्षित कर सकते हैं।
अपनी आगामी योजनाओं की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि महाकुंभ 2025 के बाद, ‘नमामि गौ मातरम्’ भारत की पहली ऐतिहासिक बैल रथ यात्रा शुरू करेगा, जिसका उद्देश्य बैल और देशी गायों के संरक्षण पर जागरूकता बढ़ाना होगा। यह अभियान बैलों को पुनः हमारे जीवन का अभिन्न अंग बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल होगी।
उन्होंने कहा कि पहला बैल-पावर क्लब लखनऊ में स्थापित किया जाएगा, जो बैल-आधारित उद्योगों का एक मॉडल होगा, जिसमें घानी, आटा चक्की, गौ काष्ठ निर्माण और अन्य पारंपरिक विधियाँ शामिल होंगी।
उन्होंने बताया कि इन पहलों को अपनाकर, हम न केवल बैल बचा सकते हैं, बल्कि वैश्विक तापमान वृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग) को नियंत्रित करने, कार्बन उत्सर्जन को कम करने और भारतीय पारंपरिक ज्ञान को पुनर्जीवित करने में भी योगदान दे सकते हैं। उन्होंने देशवासियों से अपील किया कि आइए इस ऐतिहासिक अभियान का हिस्सा बनें और बदलाव लाने में सहयोग करें!