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जिला ट्रेड यूनियन काउंसिल प्रतापगढ़ ने सरकार द्वारा जारी श्रम संहिता का विरोध किया।

काउंसिल के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन करते हुए श्रीमती द्रौपदी मुर्मू महामहिम राष्ट्रपति भारत नई दिल्ली को एक ज्ञापन जिलाधिकारी प्रतापगढ़ के माध्यम से प्रेषित दिया।

जिला ट्रेड यूनियन काउंसिल प्रतापगढ़ ने सरकार द्वारा जारी श्रम संहिता का विरोध किया।

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
ग्लोबल भारत न्यूज नेटवर्क
प्रतापगढ़, 28 नवम्बर।

काउंसिल के पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन करते हुए श्रीमती द्रौपदी मुर्मू महामहिम राष्ट्रपति भारत नई दिल्ली को एक ज्ञापन जिलाधिकारी प्रतापगढ़ के माध्यम से प्रेषित दिया।

ज्ञापन में प्रमुख रूप से श्रम हितों की अनदेखी करते हुए श्रम संहिताओं को लागू किए जाने पर उसे तत्काल प्रभाव से रद्द किए जाने पुराने श्रम कानून को प्रभावी बनाए रखना और उसे सख्ती से लागू किए जाने पर बल देते हुए कहा गया कि नई श्रम संहिता लागू होने से उद्योग में 51% श्रमिकों की सदस्यता पर यूनियन की मान्यता जैसे कड़े प्रावधान बनाने से श्रमिकों के अधिकारों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, 12 घंटे तक काम लिए जाने से श्रमिकों का भारी शारीरिक शोषण होगा।

पूर्व में श्रम अधिकार के रूप में जो कानून के अंदर प्राप्त था उसे अब योजना का स्वरूप दे दिया गया है जिसके चलते श्रमिकों का शोषण बढ़ेगा। ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया है कि किसी भी कानून को लागू करने से पूर्व उसके हितों को प्रभावित करने वाले वर्ग के साथ व्यापक चर्चा व विचार विमर्श और सहमत के उपरांत ही उसे लागू किया जाना लोकतंत्र का तकाजा रहा है जिसे भारत सरकार द्वारा पूर्ण रूप से हटवादिता पूर्वक नकारा जा रहा है विगत एक दशक से राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन का आयोजन नहीं हो रहा है।

ज्ञापन में 13 सूत्रीय मांग की गई है जिनमें प्रमुख रूप से श्रम संस्थाओं को तत्काल प्रभाव से वापस लिए जाने पुराने श्रम कानून को प्रभावी बनाए रखते हुए उसका पालन कराया जाने नियमित प्रकृति के काम में संविदा और आउटसोर्सिंग को पूर्ण रूप से समाप्त करते हुए वर्तमान में कार्यरत संविदा एवं आउटसोर्स कर्मचारी को स्थाई कर्मचारी का दर्जा दिए जाने केंद्र व राज्य सरकार के सभी विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती किए जाने विद्युत बिल 2025 को तत्काल प्रभाव से वापस लिए जाने गरीब श्रमिकों व आम उपभोक्ताओं पर प्रीपेड मीटर न थोपे जाने एवं 300 यूनिट बिजली हर घरेलू उपभोक्ता को मुफ्त में दिए जाने केंद्र सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना को बहाल किए जाने इपीएस पेंशन भोगियों को भी ऑप्सन में शामिल किए जाने रेलवे रक्षा बैंक बीमा शिक्षा स्वास्थ्य सहित सभी सरकारी प्रतिष्ठानों का निजीकरण रोके जाने इसमें ठेका कारण को समाप्त किए जाने और किसी भी प्रकार के सरकारी क्षेत्र व उसके अधीन निगमन में निजी क्षेत्र के प्रवेश को रोके जाने विभिन्न स्कीम वर्कर यथा बाल विकास परियोजना के आंगनबाड़ी कर्मियों मध्यान भोजन योजना के रसोईया कर्मियों राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कार्यरत आशा वर्कर मनरेगा योजना में रोजगार सेवकों प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्र सहित सभी स्कीम वर्कर्स को राज्य कर्मचारी का दर्जा दिए जाने न्यूनतम मजदूरी 26000 से काम न किए जाने सभी श्रमिकों को चाहे वह संगठित हो या असंगठित क्षेत्र उन्हें 10000 की पेंशन दिए जाने ईपीएफ और ई एस आई में वेतन सीमा 31000 किए जाने न्यूनतम मजदूरी का अनिवार्य रूप से पालन किए जाने और मनरेगा में मजदूरी को दोगुना किए जाने तथा श्रमिकों को कम से कम 200 दिन काम की उपलब्धता सुनिश्चित कराए जाने भारत सरकार द्वारा श्रम सम्मेलन को तत्काल बुलाए जाने एवं नियमित रूप से सम्मेलन का आयोजन किए जाने की मांग की गई है।

ज्ञापन देने वालों में प्रमुख रूप से ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के प्रदेश मंत्री हेमंत नंदन ओझा जिला ट्रेड यूनियन काउंसिल के महामंत्री एन मिश्रा संरक्षक वीपी त्रिपाठी रामबरन सिंह, राजमणि पांडे जिला मंत्री भाकपा ,बिजली कर्मियों के नेता कमलेश तिवारी, ओम प्रकाश सिंह, राघवेंद्र मिश्रा , राम अचल वर्मा पूर्व सदस्य जिला पंचायत,मीटर रीडर यूनियन के अध्यक्ष अमरनाथ यादव, बिजली कर्मचारियों के नेता ओम प्रकाश सिंह ,पल्लेदार मजदूर यूनियन के मंत्री महेश सरोज, आदि प्रमुख रूप से थे।

इस अवसर पर किसान सभा के जिला मंत्री निर्भय प्रताप सिंह ने अपना समर्थन ज्ञापित किया।ज्ञापन की प्रति श्रम मंत्री भारत सरकार उत्तर प्रदेश सरकार श्रम आयुक्त उत्तर प्रदेश को भी प्रेषित की गई है। प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से यह भी कहा गया है कि देश के सभी श्रम संगठनों की ओर से चार श्रम संहिताओं को लागू किए जाने पर विरोध प्रकट किया गया है और शीघ्र ही इस संबंध में राष्ट्रीय आह्वान पर प्रतिरोध करने के लिए व्यापक कार्यवाही की जाएगी।

DrShakti KumarPandey

डा० शक्ति कुमार पाण्डेय अंग्रेजी साहित्य के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष रहे हैं। पत्रकारिता के क्षेत्र में टाइम्स ऑफ इंडिया, नवभारत टाइम्स और यूएनआई के पत्रकार रहे हैं। आजकल 'ग्लोबल भारत' मासिक पत्रिका और न्यूज पोर्टल के प्रधान सम्पादक हैं।

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