NSG कमांडो को ट्रेनिंग देने वाला एयरफोर्स अधिकारी शहीद
धोनी को भी दिये थे प्रशिक्षण राजकीय सम्मान के साथ किया गया पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार

NSG कमांडो को ट्रेनिंग देने वाला एयरफोर्स अधिकारी शहीद
धोनी को भी दिये थे प्रशिक्षण राजकीय सम्मान के साथ किया गया पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार
ग्लोबल भारत डेस्क : प्रशिक्षण के दौरान पैराशूट न खुलने पर एयरफोर्स में तैनात प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले वारण्ट आफिसर ड्यूटी के दौरान आगरा में शहीद हो गया। क्षेत्र के जाबांज सैनिक की शहादत की सूचना शनिवार को यहां पहुंची तो गांव घर के साथ लोगों में मातम पसर गया । रविवार को पार्थिव शरीर जब पैतृक गांव पहुंचा तो पूरे राजकीय सम्मान के साथ लोगों ने नाम आंखों से सही जवान को अंतिम विदाई दी।
आगरा में जंपिंग के दौरान पैराशूट न खुलने से एयरफोर्स ऑफिसर रामकुमार तिवारी की शनिवार को मौत हो गई। रविवार सुबह जवान का पार्थिव शरीर पैतृक गांव प्रतापगढ़ के बेलहा लाया गया जहां पत्नी, बच्चों और माँ शहीद के शव से लिपट गई और उनकी चीत्कार सुनकर मौजूद हज़ारों लोगों की आंखें नम हो गईं। मां रोते-रोते बेटे के शव से लिपटी तो पिता ने हाथ जोड़कर बेटे को आखिरी प्रणाम किया। इसके उपरांत एयरफोर्स जवानों की मौजूदगी में गार्ड ऑफ ऑनर देकर पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शहीद के भाई ने बताया की वह 2002 में वायुसेना में भर्ती हुए थे,उनकी पहली पोस्टिंग पठानकोट में हुई थी। 2009 से आगरा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात थे वहां वे जवानों को जंप की ट्रेनिंग देने का काम कर रहे थे। कुछ माह पूर्व ही वह मॉरीशस से मेडल जीतकर आया था। वह एनएसजी का बहादुर कमांडो था, जो पैराशूट से कूदने की ट्रेनिंग देता था।
महेन्द्र सिंह धोनी को दिया था प्रशिक्षण
उसने खुद क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को भी प्रशिक्षण दिया था। बहादुरी के लिए प्रधानमंत्री की ओर से भी उसे सम्मानित किया गया था। वह निडर था और मौत से कभी नहीं डरता था। उसका बलिदान न सिर्फ हमारे परिवार के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है। शहीद जवान अपनी पत्नी प्रीति तिवारी और दो बेटे यश (14) और कुश (10) के साथ आगरा में रहते थे। उनके पिता रमाशंकर तिवारी और मां उर्मिला गांव में रहते है जबकि बड़ा भाई विनय तिवारी ऑस्ट्रेलिया में अपने परिवार के साथ औऱ छोटा भाई श्याम कुमार तिवारी लखनऊ हाईकोर्ट में अधिवक्ता हैं।