बिजली विभाग के पांच और मुख्य अभियंता व एक अधीक्षण अभियंता ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली।
उल्लेखनीय है कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन पर उत्पीड़न का भी आरोप लगाते हुए पिछले एक वर्ष के दौरान ही 20 से अधिक मुख्य व अधीक्षण अभियंता वीआरएस ले चुके हैं।

बिजली विभाग के पांच और मुख्य अभियंता व एक अधीक्षण अभियंता ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली।
डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज
लखनऊ, 1 फरवरी।
उल्लेखनीय है कि पावर कारपोरेशन प्रबंधन पर उत्पीड़न का भी आरोप लगाते हुए पिछले एक वर्ष के दौरान ही 20 से अधिक मुख्य व अधीक्षण अभियंता वीआरएस ले चुके हैं।
बिजली कंपनियों के लगातार बढ़ते घाटे के मद्देनजर पावर कारपोरेशन प्रबंधन पहले-पहल दो डिस्काम (पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम) के 42 जिलों की बिजली आपूर्ति व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपने की तैयारियों में जुटा है।
लगभग एक लाख करोड़ रुपये तक के घाटे में पहुंच चुकी बिजली कंपनियों को अब राज्य सरकार भी वित्तीय मदद करने को तैयार नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है तमाम विरोध के बावजूद देर-सबेर बिजली कंपनियों का निजीकरण होना तय है।
इस बीच प्रदेशवासियों को बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डाॅ. आशीष कुमार गोयल व प्रबंधन निदेशक पंकज कुमार लगातार समीक्षा बैठकों में बिजली चोरी पर कड़ाई से अंकुश लगाने के साथ ही विद्युत राजस्व बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।
विभिन्न कारणों से खराब प्रदर्शन करने वाले अभियंताओं से बैठक में ही जवाब-तलब करने के साथ ही उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
हालांकि, अभियंताओं का कहना है कि बैठकों में उनकी बातों पर गौर करने के बजाय प्रबंधन का उत्पीड़नात्मक रवैया रहता है। ऐसे में कोई भी स्वाभिमानी अभियंता अब नौकरी करने के बजाय वीआरएस ही लेना चाहेगा।
यही कारण माना जा रहा है कि उन मुख्य व अधीक्षण अभियंताओं द्वारा भी वीआरएस लिया जा रहा है जिनकी नौकरी अभी तीन वर्ष से भी अधिक है।
शुक्रवार को जिन पांच मुख्य अभियंताओं ने वीआरएस लिया है उनमें पूर्वांचल डिस्काम वाराणसी में तैनात संदीप बंसल, मुकेश कुमार गर्ग व शीश पाल सिंह और पश्चिमांचल डिस्काम मेरठ में तैनात रविन्द्र कुमार बंसल व अजय कुमार हैं।
इनके साथ ही पूर्वांचल डिस्काम में अधीक्षण अभियंता के पद पर कार्यरत वकार अहमद ने भी शुक्रवार को वीआरएस ले लिया।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि पिछले एक वर्ष के दौरान सात मुख्य अभियंता और 13 अधीक्षण अभियंता पहले ही वीआरएस ले चुके हैं।
कई और मुख्य व अधीक्षण अभियंताओं ने वीआरएस के लिए आवेदन भी कर रखा है। वर्मा ने कहा कि इस तरह बड़ी संख्या में अनुभवी बिजली अभियंताओं के वीआरएस लेने की जांच होनी चाहिए। उन्होंने पूर्व में बिजली दरों की सुनवाई के दौरान नियामक आयोग के सामने इस मामले को उठाया भी था।