कुंडा का कुंवा…इसी से उपजे विवाद की चपेट में आ सकते हैं सैकड़ों नगरवासी
न्यायालय तक पहुंचे मामले ने किया नया मोड़ खुन्नस की लड़ाई में खुल गया ता

कुंडा का कुंवा…इसी से उपजे विवाद की चपेट में आ सकते हैं सैकड़ों नगरवासी
न्यायालय तक पहुंचे मामले ने किया नया मोड़ खुन्नस की लड़ाई में खुल गया तालाब का इतिहास, राजस्व विभाग की कार्रवाई पर कोर्ट की नजर
Global भारत डेस्क : दो लोगों के अहम और खुन्नस की लड़ाई में एक दबे अध्याय के खुलने की आहट से उसकी जद में आने वाले परिवारों के जेहन में हलचल है। मामला न्यायालय के रडार पर आने के कारण गंभीर रुख पकड़ किया और अब कहीं न कहीं अनजाने में कई परिवारों के लिए चिंता का विषय बनता दिखाई दे रहा है। कुंडा नगर पंचायत के नूर मस्जिद गली में स्थित एक पुराने जमीनी विवाद से जुड़े विषय ने मामले को अनजाने में न्यायालय के रडार पर ला दिया। इसी मामले में राजस्व विभाग को न्यायालय में 27 नवंबर को अपना जवाब देना है।
क्या है पूरा मामला जिस पर मचा है हड़कंप
मामले की शुरुवात 2020 से शुरू होता है जब नूर मस्जिद गली में रहने वाले शमशाद के ऊपर इनके पड़ोसियों द्वारा कुएं से ईंट चुराने और नंबरी भूमि पर जबरन कब्जा करने के मामले में कुंडा थाने में तहरीर दी गई और विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाता है। शमशाद ने बताया कि उन्होंने अपने ऊपर गलत तरीके से दर्ज करवाए गए रिपोर्ट को क्वेश कराने के लिए उच्च न्यायालय की शरण लिया। शमशाद के अधिवक्ता ने बताया कि इसी मामले ईंट चोरी के मामले को पुलिस की जांच में गलत पाया गया और नंबरी जमीन पर कब्जा करने के मामले की जांच के लिए राजस्व विभाग को निर्देश दिया। चूंकि कुंवा तालाबी रकबे में स्थित है और इसी रकबे की जमीन को नंबरी दिखाकर रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इसी रिपोर्ट्स के आधार पर न्यायालय ने जांच का आदेश राजस्व विभाग को दिया तो मामला यही से दूसरे एंगल की तरफ घूम गया। आने वाली 27 नवंबर को अंतिम जवाब दाखिल करना है।
कुल मिलाकर शमशाद को लपेटने के चक्कर में इनके विपक्षियों द्वारा उस पन्ने को पलट दिया जिसकी उम्मीद भी शायद उन्हें नहीं रही होगी। अब दो लोगों के इगो की लड़ाई में दर्जनों परिवार इसकी चपेट में आते दिखाई दे रहे हैं।
इसी प्रकरण के चलते यदि तालाब की नाप और उसे कब्जा मुक्त कराया जाता है तो नगर पंचायत के इस तालाब का उद्धार तो हो जाएगा लेकिन इसकी कार्रवाई की जद में आने वाले परिवारों के बारे में अंदाजा खुद ही लगाया समझा सकता है। आने वाला समय तालाब की जमीन में निर्माण करने वालों के लिए चुनौती साबित हो सकता है।


