महाकुंभ में 65 करोड़ लोगों की गिनती: यह है सच्चाई
एक सवाल लोगों के मन में ये है कि सरकार ने महाकुम्भ में आए 65 करोड़ लोगों की गिनती कैसे की

महाकुंभ में 65 करोड़ लोगों की गिनती: यह है सच्चाई
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महाकुंभ में 65 करोड़ लोगों की गिनती करने के तरीके को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। लेकिन आपको बता दें कि योगी सरकार ने लोगों की गिनती करने के लिए पहली बार आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल किया है।
महाकुंभ में 500 से ज्यादा कैमरे लगाए गए हैं, जो AI की मदद से लोगों की गिनती करते हैं। यह गिनती तीन तरीकों से की जाती है:
– भीड़ के घनत्व का अनुमान: इसमें यह देखा जाता है कि कितने क्षेत्र में एक वक्त पर कितने लोग मौजूद थे।
– हेड काउंट: मेला क्षेत्र में ऊपर से लोगों के सिरों की गिनती की जाती है।
– फेसियल रिकॉग्निशन: AI कैमरों से लोगों के चेहरों की पहचान करके उनका डेटा बनाया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि एक व्यक्ति को एक से ज्यादा बार न गिना जाए।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अगर कोई व्यक्ति एक दिन महाकुंभ के मेला क्षेत्र में आता है और अगले दिन फिर से आता है, तो उसकी गिनती दो बार होगी। लेकिन अनुमान है कि ऐसे लोगों की गिनती 1% से भी कम होगी, जिससे सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों पर बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।
यह तकनीक दुनिया भर में भीड़ की गिनती करने के लिए उपयोग की जाती है, और इसकी सफलता दर 90 से 99 प्रतिशत के बीच है। इस तकनीक का उपयोग कतर में फीफा वर्ल्ड कप, मक्का में हज यात्रा, और टोक्यो में ओलंपिक खेलों में भी किया गया था।
क्या आपको लगता है कि यह तकनीक वाकई में प्रभावी है? अपने विचार कमेंट में साझा करें!
