निर्भीकता, दयालुता एवं करुणा की प्रतिमूर्ति थे पंडित सूर्य बली पांडे- पण्डित रामसेवक त्रिपाठी, लोकतंत्र रक्षक सेनानी।
सर्वोदय सद्भावना संस्थान द्वारा गांधीवादी विचारक एवं विनोबा जी के शिष्य सर्वोदयी नेता पण्डित सूर्यबली पाण्डेय की 21वीं पुण्यतिथि मनाई गई।

निर्भीकता, दयालुता एवं करुणा की प्रतिमूर्ति थे पंडित सूर्य बली पांडे- पण्डित रामसेवक त्रिपाठी, लोकतंत्र रक्षक सेनानी।
डा० शक्ति कुमार पाण्डेय
राज्य संवाददाता
ग्लोबल भारत न्यूज
प्रतापगढ़, 12 मई।
सर्वोदय सद्भावना संस्थान द्वारा गांधीवादी विचारक एवं विनोबा जी के शिष्य सर्वोदयी नेता पण्डित सूर्यबली पाण्डेय की 21वीं पुण्यतिथि मनाई गई।
कार्यक्रम सद्भावना दिवस के रूप में रामानुज आश्रम शिवजी पुरम में कवि डॉ संगम लाल त्रिपाठी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।
उक्त अवसर पर वक्ताओं ने उन्हें निर्भीकता दयालुता करूणा एवं ईमानदारी की प्रतिमूर्ति कहा।
वेद मंत्रों के बीच आपके चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण करने के पश्चात मुख्य अतिथि रामसेवक त्रिपाठी एडवोकेट लोकतंत्र रक्षक सेनानी ने कहा कि पांडे जी जैसा ईमानदार, कर्मठ, त्यागी निर्भीक एवं तपस्वी व्यक्ति करोड़ों में कोई एक होता है।
वह देश की आजादी के लिए जेल गए और देश की आजादी के बाद भी जेल गए। आप निर्भीकता दयालुता करुणा की प्रतिमूर्ति थे।
जनपद प्रतापगढ़ में दो ऐसे व्यक्ति थे जो देश की आजादी के बाद 1954 में जेल गए। जिसमें डॉ राजेश्वर सहाय त्रिपाठी एडवोकेट और पंडित सूर्य बली पांडे एडवोकेट थे। उसके बाद फिर तीसरे व्यक्ति स्वामी करपात्री जी थे।
आपातकाल में फिर 3 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जेल गए जिसमें पंडित सूर्यबली पांडे एडवोकेट, कुंवर तेजभान सिंह पूर्व विधायक एवं राजाराम किसान पूर्व विधायक जी थे।
1975 में दूसरी आजादी की लड़ाई जनपद प्रतापगढ़ में आपके नेतृत्व में लड़ी गई। जिसमें सभी पार्टी के लोगों ने आपको जिले का संयोजक बनाया आपके नेतृत्व में सैकड़ों लोग मीसा और डी आई आर में जेल गए।
विशिष्ट अतिथि डॉ शक्ति कुमार पांडेय ने कहा कि आपने देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका जहां निभाया वहीं आपातकाल में जयप्रकाश आंदोलन को गति देकर यहां का नेतृत्व किया। आप स्वतंत्रासंग्राम सेनानी एवं लोकतंत्र रक्षक सेनानी के रूप में सदा याद किए जाएंगे। आप प्रतापगढ़ के गांधी थे।
उन्होंने कहा कि देश सदैव आपके योगदान के लिए ऋणी रहेगा आपने गरीबों मजदूरों की लड़ाई को लड़ करके उन्हें मुख्यधारा में लाने का कार्य किया। सद्भावना एक ऐसा शब्द है जिस पर विस्तृत चर्चा होने की आवश्यकता है। सनातन धर्म को मानने वाले सद्भावना में विश्वास रखते हैं किंतु कुछ लोग हमारी संभावना को कमजोरी समझते हैं जो न्यायोचित नहीं है।
शिव प्रकाश मिश्रा सेनानी विशिष्ट स्थिति ने कहा कि आपके द्वारा विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में किया गया कार्य चिरस्मरणीय है। पंडित जी अपने देश की आजादी के लिए अपना जीवन जेलों में बिताया 19 माह आपातकाल के समय जेल मे रहे। आप प्रोफेसर वासुदेव सिंह के साथी थे।
उन्होंने कहा कि आपके द्वारा किए गए सामाजिक कार्य एवं धार्मिक कार्य हम सबको सच्चरित्र सत मार्ग एवं निष्ठा के साथ कार्य करने की प्रेरणा देते हैं। हम सभी लोग पंडित जी के बताए रास्ते पर चलें यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
बताया कि 1977 में आपको जनता पार्टी ने लोकसभा का टिकट दिया किंतु आपने कहा कि विनोबा जी कहते हैं चुनाव झगड़े की जड़ है। इसलिए चुनाव नहीं लड़े ।
वक्ताओं ने कहा परम श्री वैष्णव विद्वान स्वामी जी श्री बैकुंठ धाम अलोपी बाग प्रयाग ने आपको दीक्षा प्रदान करके श्री वैष्णव बनाया था ।
आपने विनोबा भावे के साथ अपने मित्र राम लखन पाठक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं रामकिंकर सरोज पूर्व केंद्रीय मंत्री के साथ गौरा प्रतापगढ़ से लेकर शाहगंज जौनपुर तक पदयात्रा किया था।
पंडित मुनीश्वर दत्त उपाध्याय द्वारा स्थापित समस्त विद्यालयों में भूदान की जमीन बाबू त्रिभुवननाथ सिन्हा एडवोकेट के साथ दान किया था, जहां पर विद्यालय खोले गए।आजीवन खादी वस्त्र धारण करते रहे।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से विशिष्ट अतिथि अध्यक्ष गंगा प्रसाद पांडे प्रबंधक महासभा प्रतापगढ़ कवि और जय राम पांडे राही जी, कविवर प्रेम कुमार त्रिपाठी प्रेम, गड़बड़ जी, श्री उदय राज उज्जड, गंगा प्रसाद पांडे भावुक, अमित कुमार पांडे शील, कवित्री कल्पना तिवारी, दिव्या तिवारी, देवेंद्र प्रकाश ओझा एडवोकेट, पं रामचंद्र मिश्रा पूर्व प्राचार्य, आचार्य विनोद दुबे प्रयागराज, सहित अनेक कवियों साहित्यकारों को आयोजक ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास द्वारा अंगवस्त्रम रामानुज पञ्चाङ्गम एवं माल्यार्पण करके सम्मानित करने के पश्चात सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
नारायणी रामानुज दासी, डॉ अवंतिका पांडेय, डॉक्टर विवेक पांडेय, डॉ अंकिता पांडेय, इंजीनियर पूजा पांडेय, आरविका पांडेय आदि ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि हम उनके बताए रास्ते पर चलें यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।